श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के संतों का भव्य नगर प्रवेश (पेशवाई) संपन्न हुआ। इस पेशवाई के साथ महाकुंभ में शामिल सभी 13 अखाड़ों की पेशवाई पूरी हो गई।
PrayagrajNews: महाकुंभ 2025 के ऐतिहासिक आयोजन में आज श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के संतों का भव्य नगर प्रवेश (पेशवाई) संपन्न हुआ। इस पेशवाई के साथ महाकुंभ में शामिल सभी 13 अखाड़ों की पेशवाई पूरी हो गई। नगर प्रवेश में संतों की शाही अंदाज में यात्रा ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। यह महाकुंभ के पहले शाही स्नान (14 जनवरी) से ठीक पहले की अद्भुत परंपरा का हिस्सा था।
शाही अंदाज में संतों का आगमन
पेशवाई के दौरान श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के संतों ने शाही अंदाज में नगर प्रवेश किया। सज-धज कर यात्रा में शामिल साधु-संत, नागा संन्यासी और श्रद्धालु परंपरागत वेशभूषा में सुसज्जित थे। इस पेशवाई के मुख्य आकर्षण में नागा संन्यासियों ने तलवार, भाला, बर्छा, गदा और तुरही लेकर शक्ति का प्रदर्शन किया। संतों का नगर प्रवेश में ऊंट, हाथी और घोड़ों पर सवारी करते हुए हुआ, जो महाकुंभ की भव्यता को दर्शाता है। पेशवाई शुरू होने से पहले बरसात हो गई, जिससे थोड़ी देरी हुई। लेकिन संतों और श्रद्धालुओं का उत्साह बरकरार रहा।
राष्ट्रभक्ति का अद्भुत संगम
पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के संतों की पेशवाई में राष्ट्रभक्ति का रंग भी नजर आया। संतों और भक्तों ने 151 फीट से अधिक लंबे तिरंगे को लेकर नगर प्रवेश किया। तिरंगे के साथ चल रहे संतों ने राष्ट्र के प्रति अपनी आस्था और सम्मान को प्रदर्शित किया। यह दृश्य श्रद्धालुओं और स्थानीय निवासियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना। इस मामले में संतो का कहना था कि जिस तरह से हमारे अखाड़े की धर्म ध्वजा आगे चलती है उसी तरह से तिरंगा हमारे देश की धर्म ध्वजा है। इसको लेकर चलना हम सभी लोगों का कर्तव्य है।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम और महत्व
पेशवाई महाकुंभ का एक अहम धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है। यह न केवल संतों और अखाड़ों के नगर प्रवेश का प्रतीक है, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपरा और भक्ति का भव्य प्रदर्शन भी है। पेशवाई के दौरान पुलिस बल और घुड़सवार सैनिकों की तैनाती सुनिश्चित की गई। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ को संभालने के लिए प्रशासन ने हर जरूरी कदम उठाए।
13 अखाड़ों की पेशवाई पूरी
श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन की पेशवाई के साथ ही महाकुंभ में सभी 13 अखाड़ों की पेशवाई संपन्न हो गई। अब सभी अखाड़े अपने शिविरों में स्थापित हो चुके हैं। अब महाकुंभ स्नान की शुरुआत होगी, पहला स्नान 13 जनवरी मकर संक्रांति का है। इसके साथ पौष पूर्णिमा का पहला शाही स्नान 14 जनवरी को किया जाएगा जिसमें 13 अखाड़ों में सबसे पहले जूना अखाड़ा अमृत स्नान करेगा। उसके बाद और दूसरे अखाड़ों की बारी आएगी।
संगम नोज, एरावत घाट और वीआईपी घाट समेत समस्त घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालु स्नान करते नजर आए। आधी रात से ही श्रद्धालु और कल्पवासी संगम तट पर जुटने लगे थे। हर-हर गंगे और जय श्रीराम के गगनभेदी जयकारों से पूरा मेला क्षेत्र गूंज उठा। और पढ़ें