महाकुंभ 2025 : श्रद्धालुओं का ध्यान खींचेगा आदि शंकर विमान मंडपम्, जानें इसकी खास शैली और महत्ता

श्रद्धालुओं का ध्यान खींचेगा आदि शंकर विमान मंडपम्, जानें इसकी खास शैली और महत्ता
UPT | प्रयागराज महाकुंभ 2025

Oct 23, 2024 19:09

महाकुंभ 2025 में संगम के किनारे स्थित श्री आदि शंकर विमान मंडपम् श्रद्धालुओं के लिए सबसे बड़े आकर्षणों में से एक होगा। इस दक्षिण भारतीय शैली में बने मंदिर की स्थापत्य कला...

Oct 23, 2024 19:09

 Prayagraj News : महाकुंभ 2025 में संगम के किनारे स्थित श्री आदि शंकर विमान मंडपम् श्रद्धालुओं के लिए सबसे बड़े आकर्षणों में से एक होगा। इस दक्षिण भारतीय शैली में बने मंदिर की स्थापत्य कला और ऐतिहासिक महत्ता इसे विशेष बनाती है। मंदिर की भव्यता और दिव्यता श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं इस मंदिर में विग्रहों के दर्शन के लिए आ चुके हैं और महाकुंभ के लिए सरकार मंदिर के आसपास विकास कार्य करा रही है। ताकि, यहां आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।


आदि शंकराचार्य व कुमारिल भट्ट के बीच यही था संवाद
मंदिर के प्रबंधक रमणी शास्त्री ने बताया कि श्री आदि शंकर विमान मंडपम् का निर्माण कांचिकामकोटि के 69वें पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती द्वारा अपने गुरु चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती की इच्छानुसार करवाया गया था। यह मंदिर उस स्थान पर स्थित है, जहां आदि शंकराचार्य और कुमारिल भट्ट के बीच ऐतिहासिक संवाद हुआ था। गुरु चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती ने वर्ष 1934 में प्रयाग में चातुर्मास किया था। उन दिनों वो दारागंज के आश्रम में रुके थे। प्रतिदिन पैदल संगम स्नान को आते थे। उस दौरान बांध के पास उन्हें दो पीपल के वृक्षों के बीच खाली स्थान नजर आया। गुरु चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती ने धर्मशास्त्रों का अध्ययन किया और स्वयं के तपोबल से यह साबित किया कि इसी स्थान पर आदि शंकराचार्य और कुमारिल भट्ट के बीच संवाद हुआ था। बाद में यहीं पर कुमारिल भट्ट ने तुषाग्नि में आत्मदाह किया था। रमणी शास्त्री ने बताया कि इसी स्थान पर गुरु चंद्रशेखरेंद्र ने मंदिर बनाने की इच्छा व्यक्त की थी, जिसे शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती ने पूर्ण किया।



17 साल में बनकर तैयार हुआ था मंदिर
मंदिर का निर्माण कार्य वर्ष 1969 में शुरू हुआ और इसे 17 वर्षों में पूर्ण किया गया। 130 फीट ऊंचे इस मंदिर में श्री आदि शंकराचार्य, देवी कामाक्षी, 51 शक्तिपीठ, तिरुपति बालाजी और 108 शिवलिंग की प्रतिमाएं स्थापित हैं। मंदिर की संरचना द्रविड़ियन आर्किटेक्चर का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देता है। मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता इसके ऊपरी तलों से संगम का विहंगम दृश्य है, जो श्रद्धालुओं के लिए एक अद्भुत अनुभव प्रदान करता है। महाकुंभ के दौरान यहां आने वाले लाखों श्रद्धालु इस मंदिर के दर्शन करेंगे।

मंदिर खुलने का समय:
मंदिर सुबह 6 बजे से दोपहर 1 बजे तक और सायं 4 बजे से रात्रि 8 बजे तक मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है। 

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