संभल की शाही जामा मस्जिद में हुए सर्वे के दौरान हिंसा से जुड़े मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर रहमान बर्क की उस याचिका को खारिज कर दिया गया है।
संभल हिंसा मामला : सांसद जियाउर रहमान बर्क को राहत नहीं, हाईकोर्ट ने FIR रद्द करने की याचिका खारिज की
Jan 03, 2025 13:03
Jan 03, 2025 13:03
एफआईआर रद्द करने से कोर्ट का इनकार
इलाहाबाद हाईकोर्ट की जस्टिस राजीव गुप्ता और जस्टिस अजहर हुसैन इदरीसी की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि सांसद बर्क के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने साफ किया कि इस मामले में पुलिस की जांच जारी रहेगी। हालांकि, हाईकोर्ट ने सांसद जियाउर रहमान बर्क को अस्थायी राहत देते हुए कहा कि पुलिस उन्हें फिलहाल गिरफ्तार नहीं करेगी। अदालत ने निर्देश दिया है कि पुलिस सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने आदेश का पालन करे।
एफआईआर के प्रावधानों पर कोर्ट का रुख
हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन धाराओं के तहत सांसद बर्क के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, उनमें अधिकतम सजा सात साल से कम की है। ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार, पुलिस को पहले नोटिस जारी कर आरोपी को पूछताछ के लिए बुलाना होगा।
पुलिस को नोटिस जारी करने का निर्देश
कोर्ट ने कहा कि पुलिस सांसद बर्क को नोटिस जारी कर सकती है और पूछताछ के लिए बुला सकती है। सांसद बर्क को पुलिस जांच में सहयोग करना होगा। सांसद जियाउर रहमान बर्क ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की गुहार लगाई थी। उन्होंने इसे राजनीति से प्रेरित और आधारहीन बताया था। लेकिन अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी।
संभल हिंसा का संदर्भ
24 नवंबर को संभल की शाही जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान हिंसा भड़क गई थी। इस घटना के बाद समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर रहमान बर्क समेत कई अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। आरोप लगाया गया कि हिंसा को उकसाने और भड़काने में उनकी भूमिका थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में पुलिस की जांच को जारी रखने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि जांच निष्पक्ष होनी चाहिए और सभी पक्षों का समुचित परीक्षण किया जाना चाहिए।
राजनीतिक और कानूनी प्रभाव
हाईकोर्ट के इस फैसले को राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे सांसद बर्क को तात्कालिक राहत नहीं मिली, लेकिन गिरफ्तारी पर रोक लगने से उनके लिए एक अस्थायी राहत जरूर है। मामले की जांच पूरी होने के बाद ही आगे की कार्रवाई तय होगी।
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