हाईकोर्ट ने सहारनपुर सीएमओ को लगाई फटकार : सेवानिवृत्ति बकाया मामले में लिया एक्शन, कहा गैरहाजिरी पर जारी करेंगे वारंट

सेवानिवृत्ति बकाया मामले में लिया एक्शन, कहा गैरहाजिरी पर जारी करेंगे वारंट
UPT | इलाहाबाद हाईकोर्ट

Oct 18, 2024 10:22

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सहारनपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) को सेवानिवृत्ति के बकाया भुगतान से जुड़े आदेशों का पालन न करने पर कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने इस मामले में सीएमओ...

Oct 18, 2024 10:22

Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सहारनपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) को सेवानिवृत्ति के बकाया भुगतान से जुड़े आदेशों का पालन न करने पर कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने इस मामले में सीएमओ के व्यवहार को अदालत की अवमानना के समान बताया। अदालत ने चेतावनी दी है कि अगर 18 अक्तूबर तक सीएमओ अदालत में जवाबी हलफनामा जमा कर व्यक्तिगत रूप से पेश नहीं होते हैं तो उनके खिलाफ वारंट जारी किया जाएगा। यह मामला न्यायमूर्ति नीरज तिवारी की अदालत में सुनवाई के लिए आया। जब चार वर्षों से सेवानिवृत्ति बकाया का भुगतान न होने से परेशान डॉ. निर्मला माहेश्वरी ने याचिका दायर की। डॉ. माहेश्वरी सहारनपुर में चिकित्सा अधिकारी के पद पर कार्यरत थीं और 30 अप्रैल 2020 को सेवानिवृत्त हुईं। सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने बकाया वेतन, पेंशन, भविष्य निधि, ग्रेच्युटी, अवकाश नकदीकरण और अन्य भत्तों के भुगतान के लिए सीएमओ कार्यालय से गुहार लगाई, लेकिन लगातार अनदेखी के बाद उन्हें हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी।


कोर्ट ने सीएमओ को आदेश का पालन करने की दी चेतावनी
इस मामले में पहले भी 28 अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीएमओ को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर यह बताने का आदेश दिया था कि अब तक बकाया का भुगतान क्यों नहीं किया गया। लेकिन सीएमओ ने अदालत के आदेश का पालन नहीं किया। जिससे अदालत ने उन्हें 27 सितंबर तक का सशर्त समय दिया था। इस सख्त चेतावनी के बावजूद सीएमओ न तो हलफनामा दाखिल कर सके और न ही अदालत में पेश हुए।

कोर्ट की अवमानना की संभावना
15 अक्तूबर को सुनवाई के दौरान सीएमओ सहारनपुर की ओर से कोई हलफनामा प्रस्तुत नहीं किया गया और न ही वह स्वयं अदालत में उपस्थित हुए। इसके बजाय उन्होंने चिकित्सा अधिकारी डॉ. रोहित वालिया को अपना प्रतिनिधि बनाकर भेज दिया। अदालत ने इस पर हैरानी जताते हुए कहा कि जब विशेष रूप से सीएमओ को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया गया था, तो वह किसी अन्य अधिकारी को कैसे अधिकृत कर सकते हैं? यह अदालत के आदेशों की अवहेलना है और आपराधिक अवमानना की श्रेणी में आता है।

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अंतिम मौका और वारंट की चेतावनी
अदालत ने सीएमओ को अंतिम अवसर प्रदान करते हुए उन्हें 18 अक्तूबर को दोपहर 2 बजे तक जवाबी हलफनामे के साथ अदालत में पेश होने का आदेश दिया है। अगर वह इस तारीख तक अदालत में पेश नहीं होते तो उनके खिलाफ वारंट जारी कर दिया जाएगा। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि इस मामले में अब और देरी सहन नहीं की जाएगी, और अदालत के आदेशों का पालन सुनिश्चित करना अनिवार्य है।

याचिकाकर्ता की वर्षों से चल रही प्रतीक्षा
डॉ. निर्मला माहेश्वरी चार वर्षों से अपने बकाया वेतन और अन्य लाभों के लिए संघर्ष कर रही हैं। बार-बार कार्यालय का चक्कर लगाने और उच्चाधिकारियों से गुहार लगाने के बावजूद उन्हें न्याय नहीं मिला। जिसके बाद उन्होंने न्यायालय की शरण ली। इस मामले में कोर्ट के आदेशों का बार-बार उल्लंघन, प्रशासनिक लापरवाही और उदासीनता को दर्शाता है। जिसके कारण याचिकाकर्ता को अपने अधिकारों के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी।

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