दारागंज रेलवे स्टेशन पर रुकी आखिरी बार ट्रेन : अब 125 वर्ष का ऐतिहासिक सफर समाप्त, ट्रेनों का संचालन हमेशा के लिए बंद 

अब 125 वर्ष का ऐतिहासिक सफर समाप्त, ट्रेनों का संचालन हमेशा के लिए बंद 
UPT | सूना पड़ा दारागंज रेलवे स्टेशन।

Dec 11, 2024 19:36

गंगा किनारे स्थित प्रयागराज का ऐतिहासिक दारागंज रेलवे स्टेशन 125 साल पुरानी यात्रा समाप्त कर चुका है, 1899 में ब्रिटिश शासनकाल में बने इस स्टेशन ने लाखों यात्रियों की यादें संजोई, 9 दिसंबर को आखिरी ट्रेन के साथ यहां से ट्रेनों का संचालन हमेशा के लिए बंद हो गया।

Dec 11, 2024 19:36

Short Highlights
  • दारागंज स्टेशन ने न केवल यात्रियों की आवाजाही देखी, बल्कि लाखों लोगों का मिलना बिछड़ना भी देखा
  • यह स्टेशन पुरानी पीढ़ी के लिए उन स्मृतियों का केंद्र था, जहां से वे अपनी यात्राओं की शुरुआत करते थे 
 Prayagraj News : गंगा किनारे स्थित प्रयागराज का ऐतिहासिक दारागंज रेलवे स्टेशन अब अपनी 125 साल पुरानी यात्रा को समाप्त कर चुका है, 1899 में ब्रिटिश शासनकाल में वाराणसी और प्रयागराज के बीच गंगा नदी पर बने इस स्टेशन ने न केवल यात्रियों का स्वागत किया बल्कि लाखों यात्रियों की यादों, संघर्षों और कहानियों का हिस्सा भी बना। सोमवार 9 दिसंबर को इस स्टेशन पर आखिरी ट्रेन रुकी और इसके साथ ही यहां से गुजरने वाली ट्रेनों का संचालन हमेशा के लिए बंद हो गया।



पुराने पुल का भी संचालन बंद 
दारागंज स्टेशन के साथ-साथ गंगा नदी पर बने पुराने रेल पुल का संचालन भी बंद कर दिया गया है। इस पुल का स्थान अब एक नया पुल लेगा, जो केवल 120 मीटर दूर स्थित है, 13 दिसंबर से झूसी से रामबाग के बीच इस नई रेल लाइन का संचालन शुरू हो जाएगा। नए पुल के उद्घाटन से गंगा पार का रेल यातायात और अधिक सुरक्षित और तेज़ होगा।

आखिरी ट्रेन का आगमन और स्टेशन का सन्नाटा 
दारागंज स्टेशन पर भृगु एक्सप्रेस वह अंतिम ट्रेन थी, जिसने 9 दिसंबर को सुबह 4:42 बजे स्टेशन पर रुककर यहां के प्लेटफॉर्म को अलविदा कहा। इसके बाद, स्टेशन पर जो कोलाहल हजारों यात्रियों के आवाजों से गूंजता था, वह एकाएक शांत हो गया। स्टेशन पर रखी कुर्सियां, पानी के टैंप और उद्घोषणा यंत्र अपनी चिर-परिचित जगहों पर स्थित थे, लेकिन उनका उपयोग करने वाला अब कोई नहीं था।

स्टेशन से जुड़े लोगों का दर्द
दारागंज स्टेशन केवल एक रेलवे स्टेशन नहीं था, यह हजारों लोगों के जीवन का हिस्सा बन चुका था। यहां के दुकानदार और रेलवे कर्मी इस बदलाव को लेकर उदास थे। एक दुकानदार ने कहा, "आज मेरा घर उजड़ गया। यहां की हलचल अब कभी नहीं देख सकूंगा।" स्टेशन के आसपास रहने वाले स्थानीय निवासी भी इस बदलाव को लेकर भावुक थे। उन्होंने कहा कि स्टेशन के बंद होने से उनके मोहल्ले का एक अहम हिस्सा उनसे छिन गया है। 

एक ऐतिहासिक गवाह और नए पुल की शुरुआत
दारागंज स्टेशन ने न केवल यात्रियों की आवाजाही देखी, बल्कि यह लाखों छात्रों के संघर्षों, यात्रियों के मिलन-बिछड़ने और स्थानीय व्यवसायियों के जीवन का हिस्सा भी बना। यह स्टेशन पुरानी पीढ़ी के लिए एक ऐसी जगह थी जहां वे अपनी यात्राओं की शुरुआत करते थे। नए पुल के उद्घाटन से रेलवे को नई दिशा मिलेगी। ट्रेनें अब सीधे झूसी से रामबाग तक पहुंचेगी, जिससे यात्रा का समय घटेगा। हालांकि, इस नई शुरुआत के साथ दारागंज स्टेशन के बंद होने का दर्द भी गहरा है।

यात्रियों की यादें और दारागंज का भविष्य
हालांकि दारागंज रेलवे स्टेशन अब बंद हो गया है, लेकिन इसकी यादें हमेशा उन लोगों के दिलों में जीवित रहेंगी जिन्होंने यहां से यात्रा की थी। इस क्षेत्र को अब ऐतिहासिक स्मारक के रूप में संरक्षित किया जा सकता है या फिर इसका किसी अन्य उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाएगा, यह समय ही बताएगा। दारागंज रेलवे स्टेशन का बंद होना केवल एक स्थान का मौन होना नहीं है, बल्कि यह एक युग का अंत है। 

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