यह विरोध प्रदर्शन दिल्ली से लेकर यूपी तक फैल गया है, क्योंकि अभ्यर्थी आयोग द्वारा एक से अधिक शिफ्टों में परीक्षा आयोजित करने के फैसले का विरोध कर रहे हैं...
UPPSC परीक्षा विवाद : अभ्यर्थियों की मांग पर एबीवीपी का समर्थन, कहा- आयोग को अभ्यर्थियों से करनी चाहिए बात
Nov 13, 2024 20:45
Nov 13, 2024 20:45
- भर्ती परीक्षाओं को लेकर तीसरे दिन भी जारी प्रदर्शन
- अभ्यर्थियों की मांग पर एबीवीपी का समर्थन
- एबीवीपी ने कहा बातचीत से होगा समाधान
आयोग जल्द उठाए उचित कदम-एबीवीपी
एबीवीपी का मानना है कि UP PCS और RO/ARO परीक्षाओं से जुड़ी अभ्यर्थियों की चिंताएं बिल्कुल सही हैं और इनका शीघ्र समाधान किया जाना चाहिए। एबीवीपी के काशी प्रांत ने एक प्रेस रिलीज जारी करते हुए कहा कि आयोग को अभ्यर्थियों की चिंताओं को गंभीरता से सुनना चाहिए। परीक्षा केंद्रों की व्यवस्था, नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया और परीक्षा के दो शिफ्टों में आयोजन जैसे मुद्दों पर अभ्यर्थियों से बातचीत करनी चाहिए, ताकि अभ्यर्थी बिना किसी असमंजस के परीक्षा की तैयारी कर सकें।
अभ्यार्थियों पर हुए लाठीचार्ज की निंदा
एबीवीपी ने इस विरोध प्रदर्शन के दौरान अभ्यर्थियों पर हुए लाठीचार्ज की कड़ी निंदा की है। छात्र संगठन ने कहा कि किसी भी समस्या का समाधान केवल बातचीत और संवाद से ही हो सकता है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय मंत्री, अंकित शुक्ला ने कहा कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा पीसीएस और RO/ARO परीक्षाओं में बदलाव के कारण अभ्यर्थियों के मन में अनिश्चितता और आशंका पैदा हो गई है, जिसके चलते वे विभिन्न स्तरों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। आयोग को इन सभी मुद्दों का शीघ्र समाधान करना चाहिए और परीक्षाओं की शुचिता एवं पारदर्शिता में कोई समझौता स्वीकार्य नहीं है।
ये है पूरा विवाद
मुख्य विवाद का कारण आयोग द्वारा UP PCS और RO/ARO की परीक्षाओं को दो शिफ्टों में आयोजित करने का निर्णय है। अगर परीक्षा एक से अधिक शिफ्टों में होती है, तो उसका मूल्यांकन नॉर्मलाइजेशन विधि से किया जाएगा। आयोग ने एक नोटिस जारी कर बताया कि परीक्षा के लिए परसेंटाइल विधि का उपयोग किया जाएगा, खासकर उन परीक्षाओं के लिए जो दो या अधिक दिनों में आयोजित की जाती हैं। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि 2024 की PCS प्रारंभिक परीक्षा और 2023 की RO/ARO भर्ती परीक्षाओं में नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया लागू की जाएगी और उम्मीदवारों के परसेंटाइल स्कोर की गणना के लिए जो फॉर्मूला अपनाया जाएगा, वह सार्वजनिक कर दिया गया है। इस निर्णय से अभ्यर्थी नाराज हैं और उनका कहना है कि यह प्रक्रिया उनके लिए असंगत हो सकती है।
नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया
नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया के अनुसार, अगर किसी उम्मीदवार को 70% अंक मिलते हैं, तो उस शिफ्ट में 70% या उससे कम अंक पाने वाले सभी उम्मीदवारों की संख्या को कुल उपस्थित उम्मीदवारों की संख्या से विभाजित किया जाएगा और फिर उसे 100 से गुणा किया जाएगा। उदाहरण के लिए, अगर किसी शिफ्ट में कुल 18,000 उम्मीदवार हैं और 15,000 उम्मीदवारों ने 70% या उससे कम अंक प्राप्त किए हैं, तो उस उम्मीदवार का परसेंटाइल स्कोर 83.33% होगा (15000/18000 x 100)। इस विधि से अभ्यर्थियों को मूल्यांकन में बदलाव महसूस हो सकता है, जो उनके विरोध का कारण बन रहा है।
इसलिए हो रहा नॉर्मलाइजेशन का विरोध
अभ्यर्थियों का मुख्य विरोध यह है कि दो शिफ्टों में परीक्षा होने से नॉर्मलाइजेशन का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे योग्य और अच्छे छात्रों को नुकसान हो सकता है। उनका कहना है कि एक शिफ्ट में सवाल आसान हो सकते हैं, जबकि दूसरी शिफ्ट में सवाल कठिन हो सकते हैं और नॉर्मलाइजेशन के आधार पर उनकी वास्तविक क्षमता का सही मूल्यांकन नहीं हो पाएगा। साथ ही, उनका यह भी कहना है कि नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे सकती है, क्योंकि प्रश्नों की कठिनाई में भिन्नता के कारण परिणामों में असमानता आ सकती है।
अभ्यार्थियों ने लगाया आरोप
अभ्यर्थियों का यह भी आरोप है कि UP PCS परीक्षाओं में अक्सर गलत प्रश्न पूछे जाते हैं और अगर एक शिफ्ट में प्रश्न गलत होते हैं, तो दूसरी शिफ्ट में छात्रों को कैसे पता चलेगा कि उन्हें कितने अंक मिले हैं। क्योंकि परसेंटाइल स्कोर किसी शिफ्ट में उपस्थित छात्रों की संख्या पर निर्भर करेगा, अगर एक शिफ्ट में ज्यादा गलत प्रश्न पूछे गए तो बेहतर प्रदर्शन करने वाले उम्मीदवारों का परसेंटाइल कम हो सकता है। यह स्थिति अभ्यर्थियों के लिए चिंता का कारण बन रही है और इसके चलते उनका विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है।
आयोग ने दिया जवाब
आयोग ने इस विरोध का जवाब देते हुए कहा है कि नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया पहले से कई अन्य भर्ती निकायों द्वारा लागू की जा चुकी है। आयोग ने यह भी बताया कि इस व्यवस्था को लागू करने से पहले एक विशेषज्ञों की टीम गठित की गई थी, जिसने पूरी समीक्षा करने के बाद इसे लागू करने का निर्णय लिया। आयोग का कहना है कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य परीक्षाओं में पारदर्शिता बनाए रखना है और यह उम्मीदवारों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करेगा।
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