प्रयागराज में कोर्ट का फैसला : मृत्यु पूर्व बयान का सत्यापन जरूरी, उम्रकैद की सजा पाए पति समेत पांच बरी

मृत्यु पूर्व बयान का सत्यापन जरूरी, उम्रकैद की सजा पाए पति समेत पांच बरी
UPT | इलाहाबाद हाईकोर्ट।

Oct 05, 2024 13:06

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दहेज हत्या में उम्रकैद की सजा पाए पति समेत पांच आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि दहेज हत्या के मामले में आरोपी को दोषी ठहराने के लिए मृत्यु के पूर्व बयान का सत्यापन करना जरूरी है। इसके...

Oct 05, 2024 13:06

Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दहेज हत्या में उम्रकैद की सजा पाए पति समेत पांच आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि दहेज हत्या के मामले में आरोपी को दोषी ठहराने के लिए मृत्यु के पूर्व बयान का सत्यापन करना जरूरी है। इसके विधिवत सत्यापन के अभाव के सजा नहीं सुनाई जा सकती। न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति डॉ. गौतम चौधरी की खंडपीठ ने भदोही के सिंटू आदि की ओर से दाखिल अपील को स्वीकार करते हुए ये फैसला सुनाया। ट्रायल कोर्ट ने आरोपियों को आजीवन कारावास और प्रत्येक को 50 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई थी।

क्या था पूरा मामला
ज्ञानपुर थाना क्षेत्र में मियां खानपुर की मीरा देवी की शादी पिंटू गौतम के साथ हुई थी। 18 अक्टूबर 2017 को मीरा देवी संदिग्ध परिस्थितियों झुलस गई थीं। मीरा के भाइयों महेंद्र और संतोष ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। कहा कि बहन को ससुराल में झगड़ा होने पर ससुर, सास और जीजा ने केरोसिन डालकर आग लगा दी थी। मृत्यु पूर्व बयान में मीरा ने कहा था कि देवर आकाश और सिंटू ने शाम छह बजे आग लगाई थी। जिसके दो दिन बाद मीरा देवी की मृत्यु हो जाती है। एसडीएम के निर्देश पर तहसीलदार सुनील कुमार मीरा देवी का बयान लेने पहुंचे थे। उनका कहना है कि बयान उनके सामने कानूनगो ने लिखा और उस वक्त परिवार के लोग मौजूद थे। ट्रायल कोर्ट ने मीरा के मृत्यु पूर्व बयान के साथ ही अन्य साक्ष्यों पर भरोसा करते हुए सजा सुनाई थी।

हाईकोर्ट में की थी अपील
पिंटू गौतम ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाइकोर्ट में अपील दाखिल की गई थी। जिसकी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि मुख्य परीक्षण में उनका कहना था कि मृत्यु पूर्व बयान दर्ज करने से पहले डॉक्टर ने प्रमाणित किया था कि मीरा मानसिक रूप से ठीक थी। खंडपीठ ने कहा कि याचियों के बारे में मीरा का मृत्यु पूर्व बयानभर है। घटना के समय उसका पति दिल्ली में था। कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं है। तहसीलदार ने स्वयं बयान लिखने की बात स्वीकार नहीं की थी। इसे लिखने वाले कानूनगो से अभियोजन पक्ष की ओर से कभी भी पूछताछ नहीं की गई थी।

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