फतेहपुर गांव के वायु सेना के जवान मलखान सिंह का शव 56 साल बाद बर्फ के नीचे मिला। जिसके बाद एक बार फिर परिवार पर शोक की लहर दौड़ गई। दरअसल सेना के जवानों ने मंगलवार...
56 साल पहले कैश हुआ था विमान : पैतृक गांव लाया गया मलखान सिंह का शव, तलाशी में मिले चार और जवानों के शव
Oct 03, 2024 11:52
Oct 03, 2024 11:52
पैतृक गांव लाया गया मलखान सिंह का शव
1968 को हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे पर भारतीय वायुसेना के विमान AN-12 के दुर्घटनाग्रस्त होने की त्रासदी ने भारतीय इतिहास में गहरी छाप छोड़ी थी। इस दुर्घटना में सवार सभी 102 लोग शहीद हो गए थे, जिनमें से कई भारतीय सेना और वायुसेना के जवान थे। 56 साल से अधिक समय बाद इस दर्दनाक घटना के पीड़ितों में से एक सिपाही मलखान सिंह का पार्थिव शरीर बरामद किया गया है, जिसे आज सुबह सहारनपुर जिले के उनके पैतृक गांव लाया गया।
तलाशी अभियान और रिकवरी
विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद लंबे समय तक चले तलाशी अभियानों के बावजूद खराब मौसम और कठिन भूगोल के कारण उस समय सभी शवों को बरामद करना संभव नहीं हो पाया था। लेकिन भारतीय सेना और हिमालयी खोज एवं बचाव दल के अथक प्रयासों के चलते पिछले कुछ वर्षों में कई पीड़ितों के अवशेष मिले हैं। 2023 में इस तलाशी अभियान में फिर से तेजी आई। जिसमें आधुनिक तकनीक और उपकरणों का इस्तेमाल कर हिमालय की बर्फीली पहाड़ियों में गहरे दबे हुए अवशेषों को ढूंढा गया। इस अभियान के दौरान चार और पीड़ितों के पार्थिव शरीर भी मिले हैं, जिनमें सिपाही मलखान सिंह भी शामिल थे।
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शहीद को अंतिम विदाई
सिपाही मलखान सिंह के पार्थिव शरीर को आज सुबह भारतीय सेना सहारनपुर स्थित पैतृक गांव लाया। जहां गांववालों और परिवारजनों की भारी भीड़ ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। शहीद को राजकीय सम्मान के साथ विदाई दी गई। जिसमें भारतीय सेना और वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा स्थानीय प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद थे। पूरे गांव में गमगीन माहौल था लेकिन साथ ही गर्व की भावना भी थी। क्योंकि उनका बेटा इतने सालों बाद वापस लौटकर आया था, भले ही वह अमर हो चुका हो।
‘56 साल पहले भाई को खो दिया था’
सिपाही मलखान सिंह के परिवारजनों के लिए यह एक बेहद भावुक क्षण था। 1968 में जब यह दुर्घटना हुई थी, तब मलखान सिंह की उम्र महज 23 साल थी और वे देश की सेवा के लिए समर्पित थे। उनके छोटे भाई ने कहा, "यह हमारे परिवार के लिए एक ऐसा क्षण है जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। हमने अपने भाई को 56 साल पहले खो दिया था और अब वह अपने गांव में वापस आ गया है। यह गर्व और गम दोनों का पल है।"
चंडीगढ़ से लेह जा रहा था विमान
मलखान सिंह वायु सेना में कार्यरत थे और 7 फरवरी 1968 को चंडीगढ़ से लेह के लिए उड़ान भरने वाले एक विमान में सवार थे। इस विमान में 100 से अधिक जवान थे, जिनमें मलखान सिंह भी शामिल थे। जब विमान सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में पहुंचा, तो खराब मौसम के कारण यह क्रैश हो गया। इस दुर्घटना में मलखान सिंह समेत सभी जवान बलिदान हो गए थे, लेकिन बर्फीले पहाड़ों के कारण उनके पार्थिव शरीर नहीं मिल पाए थे।
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