सहारनपुर में बसपा कार्यकर्ताओं ने गृहमंत्री अमित शाह के बयान के खिलाफ प्रदर्शन किया। उन्होंने इसे डॉ. अंबेडकर के प्रति अमर्यादित करार देते हुए माफी और कड़ी कार्रवाई की मांग की। बसपा ने इसे बहुजन समाज के आत्म-सम्मान पर आघात बताया।
डॉ. भीमराव अंबेडकर के प्रति अमित शाह के बयान के खिलाफ प्रदर्शन : कलेक्ट्रेट परिसर में एकत्रित हुए बसपा कार्यकर्ता, कड़ी कार्रवाई की मांग
Dec 24, 2024 13:43
Dec 24, 2024 13:43
गृहमंत्री के बयान पर आरोप
बसपा नेताओं ने आरोप लगाया कि संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने डॉ. अंबेडकर, जिन्हें संविधान निर्माता और बहुजन समाज का मसीहा माना जाता है, उनके प्रति असंवेदनशील और जातिवादी मानसिकता का प्रदर्शन किया। उनका कहना था कि यह बयान एससी–एसटी और ओबीसी समाज के आत्म-सम्मान को गहरी ठेस पहुंचाने वाला है।
डॉ. अंबेडकर के प्रति सम्मान की अपील
धरना स्थल पर बसपा के वक्ताओं ने डॉ. अंबेडकर की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे न केवल बहुजन समाज बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने भारतीय संविधान का निर्माण करके देश को लोकतांत्रिक और न्यायपूर्ण समाज की दिशा में आगे बढ़ाया। वक्ताओं ने कहा कि संविधान निर्माता के प्रति अपमानजनक भाषा का प्रयोग न केवल असंवेदनशील है, बल्कि यह भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों पर भी आघात है।
ज्ञापन और माफी की मांग
प्रदर्शन के दौरान बसपा कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपति के नाम संबोधित एक ज्ञापन जिला कलेक्टर को सौंपा। ज्ञापन में गृहमंत्री से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग की गई। इसके साथ ही उन्होंने सरकार से संविधान निर्माता के सम्मान की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाने की अपील की। ज्ञापन में इस बात पर जोर दिया गया कि ऐसे बयान समाज में विभाजन और तनाव का कारण बन सकते हैं।
जिलाध्यक्ष का बयान
बसपा के जिलाध्यक्ष जनेश्वर प्रसाद ने कहा, “डॉ. अंबेडकर का अपमान, भारत के संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों का अपमान है। बसपा इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठेगी और हर स्तर पर संघर्ष करेगी। हमारा आंदोलन बाबा साहेब के आदर्शों और उनके द्वारा बनाए गए संविधान की रक्षा के लिए है।”
नारेबाजी और आंदोलन की चेतावनी
प्रदर्शनकारियों ने 'बाबा साहेब अमर रहें', 'जातिवाद बंद करो' और 'अधिकार हमारा संविधान हमारा' जैसे नारे लगाए। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि यदि इस मामले में जल्द ही ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो बसपा का आंदोलन और तेज होगा।
प्रदर्शन का उद्देश्य
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यह विरोध सिर्फ गृहमंत्री के बयान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बाबा साहेब अंबेडकर के आदर्शों की रक्षा और बहुजन समाज के अधिकारों को सुरक्षित रखने की लड़ाई है। उनके अनुसार, संविधान के प्रति सम्मान बनाए रखना हर भारतीय का कर्तव्य है, और इस प्रकार की टिप्पणियां देश के सामाजिक ताने-बाने को कमजोर कर सकती हैं।
आगे की रणनीति
बसपा ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया, तो यह आंदोलन राष्ट्रीय स्तर पर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब के प्रति सम्मान बनाए रखने के लिए वे किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। बसपा के प्रदर्शन ने डॉ. अंबेडकर के प्रति सम्मान और संविधान की रक्षा को लेकर जनता के बीच जागरूकता बढ़ाई है। यह प्रदर्शन सिर्फ एक राजनीतिक विरोध नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी था कि लोकतांत्रिक मूल्यों और समानता की रक्षा के लिए हर नागरिक को जागरूक रहना चाहिए।
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