दारुल उलूम की वेबसाइट पर गजवा-ए-हिंद को लेकर डाले गए वर्ष 2015 के एक फतवे को आधार बनाकर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने सहारनपुर के जिलाधिकारी और एसएसपी को पत्र भेजकर दारुल उलूम के खिलाफ जांच कर कार्रवाई का आदेश दिया था।
गजवा-ए-हिंद को लेकर विवादों में घिरे दारुल उलूम ने दिया जवाब : बोला-साल 2015 में जो भी कहा था वह उसकी निजी राय नहीं थी
Feb 26, 2024 22:55
Feb 26, 2024 22:55
शनिवार को डीएम और एसएसपी को भी एक पेज का लिखित जवाब भेज दिया गया। यह जवाब उर्दू और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में है। इसमें बताया गया है कि संस्था ने वर्ष 2015 में वेबसाइट पर एक व्यक्ति द्वारा पूछे गए सवाल पर जो जवाब दिया था वो उनकी निजी राय नहीं थी, बल्कि जो कुछ भी हदीस में लिखा हुआ है, उसकी नकल की गई थी। उससे वर्तमान का दूर-दूर तक का कोई वास्ता नहीं है। मोहतमिम मौलाना अबुल कासिम नोमानी ने स्पष्ट कहा कि वह मामले को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।
क्या है पूरा मामला
बता दें कि दारुल उलूम की वेबसाइट पर गजवा-ए-हिंद को लेकर डाले गए वर्ष 2015 के एक फतवे को आधार बनाकर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने सहारनपुर के जिलाधिकारी और एसएसपी को पत्र भेजकर दारुल उलूम के खिलाफ जांच कर कार्रवाई का आदेश दिया था। जिसके बाद बृहस्पतिवार को देवबंद एसडीएम अंकुर वर्मा और सीओ अशोक सिसोदिया ने दारुल उलूम पहुंच संस्था के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी और नायब मोहतमिम मौलाना अब्दुल खालिद मद्रासी से मामले में उनका पक्ष जाना था। एसएसपी डॉ. विपिन ताडा ने बताया कि इस प्रकरण में जांच जारी है। अभी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है। जांच पूरी होने के बाद कार्रवाई की जाएगी।
पहले भी दो बार भेजे जा चुके हैं नोटिस
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इससे पहले साल 2022 में जारी एक फतवे पर नाराजगी जताई थी। जिसमें गोद लिए बच्चे का संपत्ति में अधिकार न होने और उसके व्यस्क (बालिग) होने के बाद उससे पर्दा करने का उल्लेख किया गया था। आयोग ने इसे बाल अधिकार संरक्षण के विरुद्ध बताते हुए दारुल उलूम को नोटिस जारी किया था।
इसके बाद साल 2023 में भी आयोग ने दारुल उलूम को एक नोटिस जारी किया था। इसमें आयोग ने दारुल उलूम द्वारा शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों के अंग्रेजी और अन्य आधुनिक विषयों की कोचिंग लेने पर रोक लगाने के मामले का संज्ञान लिया था। संस्था के जिम्मेदारों को तलब भी किया गया था। दोनों मामलों में दारुल उलूम प्रबंधन ने अपना पक्ष रखा, जिसके चलते इन मामलों में आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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