देवबंद उलमा ने मुसलमानों को अपना जन्मदिन नहीं मनाने को कहा है। उलमा ने जन्मदिन मनाने की परंपरा को शरीयत और हदीस के खिलाफ बताया है। इससे एक बार फिर नई बहस छिड़ गई है।
Devband News : देवबंद उलमा बोले-जन्मदिन मनाना शरीयत और हदीस के खिलाफ, मुसलमान इससे बचे
Nov 01, 2024 10:10
Nov 01, 2024 10:10
- जन्मदिन मनाने की परंपरा को देवबंदी उलमा ने गलत करार दिया
- मुसलमानों से मोमबत्ती और केक ना काटने की सलाह
- कहा, इस्लाम के धार्मिक ग्रंथ में इस परंपरा का उल्लेख नहीं
अल्लाह के रसूल ने भी कभी जन्मदिन नहीं मनाया
उन्होंने कहा कि अल्लाह के रसूल ने भी कभी जन्मदिन नहीं मनाया। उलमा ने इसको ईसाइयों परंपरा करार देते हुए मुसलमानों से इसे अपनाने से बचने की अपील की है। देवबंद के जामिया शेखुल हिंद मदरसा के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती असद कासमी ने मुसलमानों को अपना जन्मदिन मनाने को लेकर इसे ईसाइयों की खुराफात कहा है।
जन्मदिन मनाए जाने की किसी परंपरा का जिक्र नहीं
उन्होंने कहा कि जन्मदिन मनाने को लेकर इस्लाम के किसी धार्मिक ग्रंथ में इसका कोई जिक्र नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि पवित्र कुरआन, शरीयत और हदीस में जन्मदिन मनाए जाने की किसी परंपरा का जिक्र नहीं है।
ईसाइयों की परंपरा को अपनाकर उनकी नकल कर रहे
उन्होंने कहा कि आज हम मुसलमान ईसाइयों की परंपरा को अपनाकर उनकी नकल कर रहे हैं। मुसलमानों को जन्मदिन मनाने से बचना चाहिए और शरीयत के बताए रास्ते पर ही चलना चाहिए। मुफ्ती असद ने कहा कि जन्मदिन पर मुसलमानों को सोचना चाहिए कि उनकी उम्र से एक साल कम हो गया। इसमें हमने क्या अच्छा किया और क्या बुरा किया। जबकि इसके उलट लोग उम्र का एक साल कम होने पर मोमबत्ती जलाते हैं और केक काटते हैं। यह गलत परंपरा है।
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