एक वक्त पश्चिम यूपी की सियासत में दबदबा रखने वाली अनुराधा चौधरी आज करीब 13 साल बाद रालोद कार्यालय पहुंचीं। इस दौरान उन्होंने अपने पुराने सहयोगियों से बातचीत भी की।
13 साल बाद रालोद कार्यालय पहुंचीं अनुराधा चौधरी : 2002 में पहली बार लड़ा था चुनाव, पश्चिम यूपी में रखती हैं दबदबा
Oct 25, 2024 19:52
Oct 25, 2024 19:52
- रालोद कार्यालय पहुंचीं अनुराधा चौधरी
- 13 साल बाद रखा दहलीज पर कदम
- 9 साल से भाजपा में हैं अनुराधा
2002 में लड़ा था चुनाव
अनुराधा चौधरी ने अपना पहला चुनाव 2002 में लड़ा था। तब वह रालोद के टिकट पर बघरा सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंची थीं। उनके सामने समाजवादी पार्टी के उदयपाल मैदना में उतरे थे, जिनकी हार हुई थी। इस जीत के बाद उन्हें कैबिनेट में मंत्री भी बनाया गया था। लेकिन इसके 2 साल बाद ही 2004 के लोकसभा चुनाव हुए। इसमें अनुराधा को कैराना से उम्मीदवार बना दिया गया था। इस चुनाव में भी उन्हें जीत मिलीं और वह सांसद बन गई।
सपा से बढ़ने लगी नजदीकियां
2009 में भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के बीच गठबंधन हुआ। अनुराधा को मुजफ्फरनगर की सीट से चुनाव लड़ाया गया, लेकिन वह बसपा प्रत्याशी से जीत नहीं सकीं। अमुराधा की हार हुई। साल 2011 आते-आते अजित सिंह की नजदीकियां कांग्रेस से बढ़ने लगीं और वह केंद्र सरकार में हिस्सेदार बन गए। इससे नाराज होकर अनुराधा ने रालोद का दामन छोड़ दिया और सपा में शामिल हो गईं।
9 साल से भाजपा में हैं अनुराधा
अनुराधा चौधरी को समाजवादी पार्टी ने बिजनौर से टिकट देने का मन बनाया। लेकिन स्थानीय नेताओं को यह नागवार गुजरा और उन्होंने शीर्ष नेतृत्व के कान भरने शुरू कर दिए। लिहाजा अनुराधा का टिकट काट दिया गया। इसके चलते अनुराधा का सपा से मोह भंग हो गया औऱ 2014 के चुनाव से पहले ही वह भाजपा में शामिल हो गईं। पिछले 9 साल से वह भाजपा में है। आज रालोद नेता राजपाल बालियान के साथ उनकी बातचीत चर्चा का विषय बनी रही।
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