पहचान के फरमान से परेशान : वसीम ने मनोज को किराए पर दी दुकान, एक पीढ़ी पुराना 'संगम' अब सलीम भोजनालय

वसीम ने मनोज को किराए पर दी दुकान, एक पीढ़ी पुराना 'संगम' अब सलीम भोजनालय
UPT | मुजफ्फरनगर से ग्राउंड रिपोर्ट

Jul 21, 2024 00:11

कांवड़ मार्ग की दुकानों में नेम प्लेट लगाने के यूपी सरकार के आदेश ने मानो ये जुमला ही बदल दिया है। आदेश जारी होने के बाद दिल्ली-देहरादून हाईवे पर 'संगम भोजनालय' का नाम अब बदलकर...

Jul 21, 2024 00:11

Short Highlights
  • पुलिस के इस फरमान का कांवड़ यात्रा के दौरान काम पर बड़ा असर पड़ने वाला है
  • मुजफ्फरनगर जिले में कांवड़ यात्रा का मार्ग 240 किलोमीटर लंबा है
Kanwar Route Nameplate Controversy (मुजफ्फरनगर से ग्राउंड रिपोर्ट) : आपने भी बहुत सुना होगा- 'अजी नाम में क्या रखा है।' दिल्ली-देहरादून नेशनल हाईवे-58 पर नाम में बहुत कुछ रखा है। कांवड़ मार्ग की दुकानों में नेम प्लेट लगाने के यूपी सरकार के आदेश ने मानो ये जुमला ही बदल दिया है। आदेश जारी होने के बाद दिल्ली-देहरादून हाईवे पर 'संगम भोजनालय' का नाम अब बदलकर 'सलीम शुद्ध शाकाहारी भोजनालय' हो गया है। न केवल अपने ढाबे का नाम बदला है, बल्कि इसी नए नाम से खाद्य सुरक्षा विभाग में पंजीकरण भी करा लिया है। इसी तरह छपार टोल प्लाजा के पास वसीम ने अपना ढाबा एक महीने के लिए मनोज पाल को किराए पर दे दिया है। 

आइए, देखें किस तरह के बदलाव नजर आ रहे हैं....

कहां चला गया चाय लवर पॉइंट
दिल्ली-देहरादून हाईवे पर चाय की दुकान लगाने वाले मुस्लिम शख्स की दुकान का नाम कुछ दिन पूर्व 'चाय लवर पॉइंट' हुआ करता था लेकिन पुलिस के आदेश के बाद अब उसकी पहचान बदल गई है। दुकान मालिक फहीम ने अब अपनी दुकान का नाम 'वकील अहमद टी स्टॉल' रख लिया है। फहीम ने बताया कि पुलिस के इस फरमान का कांवड़ यात्रा के दौरान काम पर बड़ा असर पड़ने वाला है। फहीम का कहना है कि पुलिसवालों ने कुछ दिन पहले उसके पास आकर कहा कि कांवड़ यात्रा शुरू होने वाली है, तुम दुकान पर अपना नाम लिख लो। अब 'चाय लवर पॉइंट' का नाम बदलकर अब 'फहीम टी स्टॉल' या 'वकील अहमद टी स्टॉल' हो गया है। 

वसीम ने किराए पर दिया ढाबा
इसी तरह, छपार के पास बहेड़ी निवासी वसीम ने अपना ढाबा एक महीने के लिए मनोज पाल को किराए पर दे दिया है। वसीम का कहना है, "हमें प्रशासन के नियम से कोई परेशानी नहीं है। कांवड़ यात्रा के बाद हम फिर से अपना काम शुरू कर देंगे।" यह स्थिति दर्शाती है कि कई व्यापारी इस नए नियम के प्रति सतर्क दृष्टिकोण अपना रहे हैं।

25 साल पुराना संगम भोजनालय
दिल्ली-देहरादून हाइवे पर 25 वर्षों से चल रहे 'संगम शुद्ध शाकाहारी भोजनालय' का नाम अब बदलकर 'सलीम शुद्ध शाकाहारी भोजनालय' कर दिया गया है। यह बदलाव उत्तर प्रदेश सरकार के एक नए आदेश का परिणाम है, जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी दुकानों और ठेलों के मालिकों को अपना नाम और पहचान स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करने का निर्देश दिया गया है। सलीम का कहना है कि मुझे अपनी पहचान उजागर करने में कोई आपत्ति नहीं है। हमारा ढाबा पिछले 25 सालों से यहां है और हमने हमेशा सभी ग्राहकों को समान रूप से सेवा दी है। उन्होंने यह भी बताया कि वे जल्द ही ढाबे के अंदर की दीवारों पर नया नाम लिखवाएंगे। 

झमेले में नहीं पड़ना चाहते पुरकाजी वाले सलीम
यह नया नियम मुजफ्फरनगर और आसपास के क्षेत्रों में व्यापक प्रभाव डाल रहा है। पुरकाजी के निवासी सलीम, जो छपार टोल प्लाजा के निकट चाय की दुकान चलाते हैं, ने कांवड़ यात्रा के दौरान अपनी दुकान बंद रखने का फैसला किया है। वे कहते हैं, "परेशानी तो होगी, लेकिन हम किसी झमेले में नहीं पड़ना चाहते।" उन्होंने अपनी दुकान पर पर्दा लगा दिया है।

कहां से शुरू हुआ विवाद
यशवीर आश्रम बघरा के संचालक स्वामी यशवीर महाराज ने कांवड़ मार्ग की दुकानों पर दुकानदारों के नाम प्रदर्शित करने की मांग की थी। उन्होंने इस संबंध में एसएसपी अभिषेक सिंह से मुलाकात की थी। कौशल विकास राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल ने भी एक बैठक में यह मुद्दा उठाया था। पुलिस ने इसके बाद कांवड़ मार्ग पर व्यवस्था लागू करनी शुरू कर दी थी। स्वामी यशवीर महाराज ने मांग उठाई कि सभी होटल, ढाबे और खाद्य पदार्थ बेचने वाले अपना सही नाम लिखें। उन्होंने बताया कि कई दुकानों पर हिंदू देवी-देवताओं के नाम हैं, लेकिन संचालक मुस्लिम हैं। उन्होंने खाने में थूकने के वीडियो का उल्लेख किया। उनका मानना है कि इन सब से हिंदुओं का धर्म भ्रष्ट होता है, इसलिए यह अभियान चलाया गया है। पहले मुजफ्फरनगर के एसपी ने और फिर यूपी सरकार ने पूरे प्रदेश के लिए यह आदेश जारी कर दिया। 

बात निकली है तो दूर तलक जाएगी...
इस नए नियम के तहत न केवल दुकानों के नाम बदले जा रहे हैं, बल्कि कई अन्य बदलाव भी देखने को मिल रहे हैं। कई ढाबों से मुस्लिम कर्मचारियों को कांवड़ यात्रा की अवधि के लिए हटाया जा रहा है। कुछ स्थानों पर कर्मचारियों ने स्वेच्छा से ही इस दौरान काम न करने का फैसला किया है। कुछ अल्पसंख्यक समुदाय के दुकानदारों ने अपनी दुकानें दूसरे समुदाय के लोगों को किराए पर दी हैं या उन्हें साझेदार बना लिया है। पुलिस और प्रशासन इस नीति के पीछे के कारणों को स्पष्ट किया है। उन्होंने बताया कि पिछले साल मुजफ्फरनगर में एक घटना हुई थी जहां कांवड़ियों ने एक ऐसे ढाबे पर खाना खाया जिसका बाहरी नाम हिंदू था, लेकिन मालिक और कर्मचारी दूसरे समुदाय के थे। इस घटना के बाद विवाद और तोड़फोड़ हुई थी। नेमप्लेट विवाद पर सियासत भी खूब हो रही है। 

कांवड़ यात्रा में मुजफ्फरनगर खास क्यों
मुजफ्फरनगर जनपद हरिद्वार से दिल्ली-यूपी-हरियाणा तक कांवड़ रूट में सबसे खास है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस जिले में कांवड़ यात्रा का मार्ग 240 किलोमीटर लंबा है। यह पुरकाजी के गांव भूराहेड़ी चेकपोस्ट से खतौली के भंगेला व बुढ़ाना, फुगाना, तितावी थानों की सीमा तक फैला हुआ है। 

मुजफ्फरनगर में कांवड़ मार्ग
  • गंगनहर पटरी मार्ग-मंगलौर से भोपा, खतौली, मेरठ तक।
  • गंगनहर जौली पुल-जटवाड़ा, कुतुबपुर, मेरठ तक।
  • भूराहेड़ी, पुरकाजी, छपार, रामपुर तिराहा, शिव चौक तक।
  • सिसौना, बझेड़ी फाटक, केवलपुरी, सरवट, शिव चौक तक।
  • शिव चौक से वाया बुढ़ाना मोड़ से शामली तक।
  • शिव चौक से शाहपुर, बुढ़ाना, बागपत तक।
  • शिव चौक से लेकर वहलना, मंसूरपुर, नावला कोठी तक।
  • नावला कट, खेड़ी तगान, भूपखेड़ी, मेरठ तक।
  • नावला कोठी, रायपुर नंगली, सिकंदरपुर, मेरठ तक।
  • नावला कोठी, खतौली, भंगेला, मेरठ तक।
  • पानीपत-खटीमा बाईपास, सिसौना, पीनना तक।

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