मुस्लिम बाहुल्य गांव में कांवड़िया घरों के बाहर बने चबूतरों पर बैठकर अपनी थकान उतारते हैं। इन गांव में शाम होते ही दोनों ओर कांवड़ यात्रा देखने के लिए लोग चारपाई डालकर बैठ जाते हैं।
नेमप्लेट विवाद के बीच सुकून की खबर : यहां मुस्लिम के चबूतरे पर बैठ थकान उतारते हैं कांवड़िये, रास्ते के दोनों ओर गांव में डालते हैं चारपाइयां
Jul 25, 2024 00:26
Jul 25, 2024 00:26
- करीब 15 किलोमीटर तक मुस्लिम आबादी वाले गांवों से निकलते हैं कांवड़िया
- मुस्लिम गांव में बने मंदिर में होता है भंडारे का इंतजाम
- इन गांवों में नहीं पड़ा दुकानों के बाहर नाम लिखे जाने का कोई असर
मुस्लिम आबादी के गांव बसे हुए हैं
उत्तराखंड से कांवड़िये जब यूपी की सीमा में प्रवेश करते हैं तो मुजफ्फरनगर जिले में करीब 10 से 15 किलोमीटर का क्षेत्र ऐसा है जहां पर मुस्लिम आबादी के गांव बसे हुए हैं। इन गांवों के बीच से निकलकर कांवडिया अपने गंतव्य की ओर बढ़ता है। ये गांव हैं बझेड़ी, सांझक और तावली जिनके बीच से होकर कांवड़ यात्रा गुजरती हैं।
मुस्लिम गांव में कांवड़िए दुकानों से खरीदारी करते हैं
इन मुस्लिम गांव में कांवड़िए दुकानों से खरीदारी करते हैं। मुस्लिम बाहुल्य गांव में कांवड़िया घरों के बाहर बने चबूतरों पर बैठकर अपनी थकान उतारते हैं। इन गांव में शाम होते ही दोनों ओर कांवड़ यात्रा देखने के लिए लोग चारपाई डालकर बैठ जाते हैं। इतना ही नहीं चबूतरों पर कांवड़ियों के बैठने के लिए अलग से चारपाई की व्यवस्था की जाती है।
कांवड़िए घरों के बाहर आराम करते
दिल्ली-दून हाईवे से बझेड़ी होते हुए कांवड़िए आगे बढ़ते हैं। बझेड़ी भी मुस्लिम बाहुल्य प्रमुख गांव है। इस गांव में कांवड़िए घरों के बाहर आराम करते हैं इतना ही नहीं कभी कभी तो कांवड़िए अपनी थकान उतारते हुए वहीं पर सो जाते हैं। सुबह यहीं से नहा धोकर पूजा पाठ कर अपने गंतव्य की ओर आगे बढ़ते हैं। बझेडी अंडरपास के पास मंदिर में बड़े कांवड़ शिविर का संचालन होता है। इसके बाद शहर में कच्ची सड़क के बड़े हिस्से में मुस्लिम आबादी है।
मुस्लिम भाइयों के चबूतरे पर विश्राम करते हैं
सैफी एकता संगठन के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सांझक निवासी मुस्तकीम कहते हैं कि हमारे गांव में हिंदू-मुस्लिम मिलकर कांवड़ियों की सेवा करते हैं। कांवड़िए भी मुस्लिम भाइयों के चबूतरे पर विश्राम करते हैं। किराना व्यापारी सांझक निवासी अरशद का कहना है कि हमको राजनीति या किसी पार्टी से कोई मतलब नहीं है। हम लोग पूरे साल कांवड़ का इंतजार करते हैं। कांवड़ का समय नजदीक आते ही हम शिविर भी लगाते हैं और कांवडियों की सेवा भी करते हैं।
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