हस्तिनापुर और कुरुक्षेत्र की तरह महाभारत का गवाह रहा है मुजफ्फरनगर : शाहजहां ने कैसे बदला इस शहर का नाम?

शाहजहां ने कैसे बदला इस शहर का नाम?
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Nov 05, 2024 19:00

मुजफ्फरनगर का नाम सुनते ही एक ऐसे शहर की छवि उभरती है जो आज भी अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के कारण चर्चाओं में रहता है। मुजफ्फरनगर का इतिहास न केवल पुरातात्विक दृष्टि से समृद्ध है बल्कि हड़प्पा सभ्यता, महाभारत युग और मुगलकाल से भी जुड़ा हुआ है।

Nov 05, 2024 19:00

Muzaffarnagar News : मुजफ्फरनगर का नाम सुनते ही एक ऐसे शहर की छवि उभरती है जो आज भी अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के कारण चर्चाओं में रहता है। मुजफ्फरनगर का इतिहास न केवल पुरातात्विक दृष्टि से समृद्ध है बल्कि हड़प्पा सभ्यता, महाभारत युग और मुगलकाल से भी जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि यहां के प्रसिद्ध अक्षयवट क्षेत्र में गोस्वामी शुकदेव ने राजा परीक्षित को भागवत पुराण का उपदेश दिया था। उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र में यमुना और गंगा नदी के दोआब में बसा यह शहर आज एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र है, जो गन्ने की खेती के लिए भी प्रसिद्ध है। जाट बहुल इस क्षेत्र में मुस्लिम आबादी भी अच्छी-खासी है, जो इसकी सांस्कृतिक विविधता को और अधिक समृद्ध बनाती है। इस जिले का नाम मुगल बादशाह शाहजहां के सरदार सैयद मुज़फ़्फ़र खान के नाम पर रखा गया था। इससे पहले इसे सरवत के नाम से जाना जाता था

मुजफ्फरनगर का प्राचीन इतिहास 
मुजफ्फरनगर का ऐतिहासिक महत्व उसकी प्राचीन पृष्ठभूमि से भी जुड़ा हुआ है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने यहां पर कई खुदाइयों के दौरान ऐसे अवशेष पाए हैं जो हड़प्पा सभ्यता के साक्ष्य माने जाते हैं। कई विद्वानों और इतिहासकारों का मानना है कि यह क्षेत्र महाभारत युग की घटनाओं का साक्षी रहा है। ऐसा भी कहा जाता है कि मुजफ्फरनगर और इसके आसपास के क्षेत्रों में महाभारत के युद्ध से संबंधित कई लड़ाइयाँ लड़ी गईं थीं। हस्तिनापुर और कुरुक्षेत्र जैसे स्थानों की तरह, मुजफ्फरनगर भी महाभारत के पौराणिक कथाओं और कहानियों से गहराई से जुड़ा हुआ है।

मुगलों के समय में मुजफ्फरनगर का नामकरण
मुजफ्फरनगर के आधुनिक इतिहास की शुरुआत मुगल बादशाह शाहजहां के समय से मानी जाती है। रिपोर्टों के अनुसार, 1633 में शाहजहां ने इस शहर का नाम अपने सरदार सैयद मुजफ्फर खान के नाम पर रखा था। इसके पहले इस क्षेत्र को सरवट के नाम से जाना जाता था और यह सहारनपुर के शासक के अधीन था। मुगलकाल में सहारनपुर का शासक पीर खान लोदी था, जिसे हराकर शाहजहां ने यह क्षेत्र सैयद मुजफ्फर खान को जागीर के रूप में प्रदान किया। इसके बाद, मुजफ्फर खान के बेटे मुनव्वर लश्कर खान ने अपने पिता की याद में इस क्षेत्र का नाम मुजफ्फरनगर रखा और इसे एक शहर के रूप में विकसित किया। मुजफ्फरनगर की वास्तुकला और स्थापत्य में आज भी मुगलकालीन शैली की छाप देखी जा सकती है, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को और अधिक बढ़ाती है।

स्वतंत्रता संग्राम में मुजफ्फरनगर का योगदान
मुजफ्फरनगर का योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी विशेष रहा है। ब्रिटिश शासन के दौरान, यह शहर उत्तर प्रदेश के कई अन्य शहरों की तरह स्वतंत्रता सेनानियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल बन गया था। अंग्रेजों ने इसे ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रमुख केंद्र बना रखा था। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यहां पर स्वतंत्रता सेनानियों का एक केंद्र स्थापित किया गया। महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, और जवाहरलाल नेहरू जैसे प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी यहां आ चुके हैं। 1942 के "भारत छोड़ो आंदोलन" के दौरान भी मुजफ्फरनगर में कई आंदोलनों और गतिविधियों को देखा गया था। स्वतंत्रता संग्राम में स्थानीय लोगों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया, जिससे यह क्षेत्र ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ विद्रोह का केंद्र बन गया।

मुजफ्फरनगर के प्रमुख पर्यटन स्थल
मुजफ्फरनगर में कई धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल हैं, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इन स्थानों में शुक्रतीर्थ-शुक्रताल, अक्षय वट, हनुमत धाम, जूलॉजिकल पार्क, और वहलना जैसे स्थान शामिल हैं। शुक्रताल का इतिहास लगभग 5,000 वर्ष पुराना माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यही वह स्थान है जहाँ गोस्वामी शुकदेव ने राजा परीक्षित को भागवत पुराण की कथा सुनाई थी। यहां हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाने और पुण्य अर्जित करने आते हैं।

शुक्रताल: यह स्थान अपनी धार्मिक महत्ता के कारण विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यह पवित्र स्थान गंगा नदी के किनारे स्थित है और यहां पर हर साल सैकड़ों श्रद्धालु स्नान करने आते हैं। शुक्रताल में अक्षयवट वृक्ष के नीचे ही शुकदेव जी ने भागवत कथा सुनाई थी। यहां की पौराणिकता और प्राकृतिक सुंदरता इस स्थल को बेहद खास बनाती है।

अक्षय वट: इस प्राचीन वट वृक्ष का धार्मिक महत्व है, जहां श्रद्धालु ध्यान और पूजा-अर्चना करने आते हैं। अक्षय वट का संबंध महाभारत काल से भी माना जाता है और यह पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है।

हनुमत धाम: भगवान हनुमान को समर्पित यह मंदिर अपने विशालकाय हनुमान प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है। हनुमत धाम में भक्तों का तांता लगा रहता है और यह मुजफ्फरनगर का प्रमुख धार्मिक स्थल है।

वहलना जूलॉजिकल पार्क: यह पार्क पर्यटकों और विशेष रूप से बच्चों के लिए एक आकर्षक स्थल है। यहां विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों का घर है, और यह एक पिकनिक स्थल के रूप में भी लोकप्रिय है।

मुजफ्फरनगर की वर्तमान स्थिति
मुजफ्फरनगर आज उत्तर प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक शहरों में से एक है। यह क्षेत्र विशेष रूप से गन्ना उत्पादन के लिए जाना जाता है। यहां पर चीनी मिलों की संख्या भी काफी है, जो इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाती है। मुजफ्फरनगर में जाट समुदाय का वर्चस्व है, लेकिन यहां मुस्लिम आबादी भी अच्छी-खासी संख्या में निवास करती है, जो इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाती है।

मुजफ्फरनगर का इतिहास और संस्कृति क्षेत्र की विशेषता
मुजफ्फरनगर का इतिहास और संस्कृति न केवल इस क्षेत्र की विशेषता है, बल्कि भारत के गौरवशाली इतिहास का एक अनमोल हिस्सा भी है। यहां की धार्मिक स्थलों और प्राचीन धरोहरों से जुड़ी कहानियां इसकी पहचान को और अधिक जीवंत बनाती हैं। मुजफ्फरनगर का इतिहास उसकी समृद्ध संस्कृति, स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका, और धार्मिक स्थलों से भरा हुआ है। यह शहर न केवल पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए भी विशेष स्थान रखता है।

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