अजमेर शरीफ दरगाह विवाद : मौलाना मदनी ने शिव मंदिर के दावे को बताया 'भारत के दिल पर हमला'

मौलाना मदनी ने शिव मंदिर के दावे को बताया 'भारत के दिल पर हमला'
UPT | मौलाना महमूद असद मदनी

Dec 03, 2024 19:13

सहारनपुर के देवबंद में ख्वाजा ख्वाजगान सुलतान-उल-हिंद हजरत मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेरी की दरगाह को "शिव मंदिर" बताए जाने पर जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने इसे भारत के दिल पर हमला करने जैसा करार दिया...

Dec 03, 2024 19:13

Saharanpur News : सहारनपुर के देवबंद में ख्वाजा ख्वाजगान सुलतान-उल-हिंद हजरत मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेरी की दरगाह को "शिव मंदिर" बताए जाने पर जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने इसे भारत के दिल पर हमला करने जैसा करार दिया। मौलाना मदनी ने देशभर में मस्जिदों से जुड़ी अराजकता पर तत्काल कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने उत्तरकाशी (उत्तराखंड) की जामा मस्जिद के खिलाफ चलाए गए अभियान और स्थानीय प्रशासन द्वारा संप्रदायिक तत्वों को पंचायत की अनुमति देने की निंदा की है।

'शिव मंदिर का दावा हास्यास्पद है'
मौलाना मदनी ने कहा कि ऐसे तत्वों को हर जगह सरकारों का संरक्षण प्राप्त है, जिसके परिणामस्वरूप देश में अराजकता और घृणा फैल रही है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वे इन तत्वों को संरक्षण देना बंद करें, अन्यथा इतिहास उनका आचरण माफ नहीं करेगा। मौलाना मदनी ने कहा कि जहां तक अजमेर शरीफ की दरगाह का मामला है, तो इस संबंध में किया जाने वाला यह दावा हास्यास्पद है, ऐसे दावे को अदालत से तुरंत खारिज कर दिया जाना चाहिए था। मौलाना मदनी ख्वाजा साहब के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हजरत ख्वाजा साहब संसारिक सुख से आजाद एक फकीर थे, जिन्होंने किसी भू-भाग पर शासन नहीं किया,बल्कि उन्होंने दिलों पर राज किया। इसी वजह से आप 'सुल्तान-उल-हिंद' कहलाए।



'हजार वर्षों से ख्वाजा साहब इस देश के प्रतीक'
मौलाना मदनी ने कहा कि एक हजार वर्षों से ख्वाजा साहब इस देश के प्रतीक रहे हैं और उनका व्यक्तित्व शांति के दूत के रूप में प्रसिद्ध है। गरीबों के प्रति उनके सेवाभाव के कारण उन्हें 'ग़रीब नवाज़' का उपनाम मिला। मौलाना मदनी ने आगे कहा कि ख्वाजा ग़रीब नवाज़ के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू अमन-शांति, सहिष्णुता और प्राणियों के प्रति प्रेम था। उन्होंने इंसानी भाईचारे, बराबरी और गरीबों की सेवा की जो परंपरा स्थापित की, वह सभी भारतीयों की समान विरासत है, चाहे वे किसी भी धर्म या समुदाय के हों।

'ख्वाजा साहब के दरवाजे पर कोई भेदभाव नहीं'
मौलाना मदनी ने कहा कि ख्वाजा साहब के दरवाजे पर मुसलमानों और गैर-मुसलमानों के बीच कोई भेदभाव नहीं था। उनके दरवाजे जिस तरह मुसलमानों के लिए खुले थे, उसी तरह अन्य धर्मों के लोगों के लिए भी खुले थे। उन्होंने बिना किसी भेदभाव के अपने प्रेम और आशीर्वाद से दिलों में गर्मी और दिमागों में ताजगी भरने का कार्य किया।

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