सिस्टम की खराब हालत के चलते एक दिव्यांग दंपती और तीन मासूम बच्चों की जान चली गई। जहां एक मां अपने तीन मासूम बच्चों की जान के लिए चीखते-चिल्लाते अपनी जान गंवा बैठी...
लाचार सिस्टम के आगे परिवार ने तोड़ा दम : छटपटाती रही सांसें, नहीं आई एंबुलेंस, दिल दहला देगी ये वारदात
Jan 14, 2025 15:59
Jan 14, 2025 15:59
भीम आर्मी के राष्ट्रीय महासचिव अस्पताल पहुंचे
मंगलवार सुबह भीम आर्मी के राष्ट्रीय महासचिव कमल वालिया भी कार्यकर्ताओं के साथ निजी अस्पताल में पहुंचे। आरोप लगाया कि जिला अस्पताल में लापरवाही के कारण सोमवार शाम डेढ़ वर्षीय विवेक की मौत हो गई थी। वहां से उन्हें समय से एंबुलेंस उपलब्ध नहीं कराई गई। उन्होंने फाइनेंस कंपनियों पर भी कार्रवाई की मांग की है। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने महिला के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। वहीं बच्चे के शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया और देर रात दफना दिया गया।
जिंदगी के लिए छटपटाते रहे तीन मासूम और दंपती
बता दें कि नंदी फिरोजपुर गांव के रहने वाले विकास ने सोमवार दोपहर हरोड़ा गांव के पास अपने तीन बच्चों परी, पलक, विवेक और पत्नी रजनी को जहर देकर खुद भी जहरीला पदार्थ ले लिया था। जिससे उनकी हालत बिगड़ गई थी। सोमवार शाम को मासूम विवेक की मौत हो गई थी। देर रात रजनी ने भी दम तोड़ दिया। उधर, जिंदगी के लिए छटपटा रहे तीन मासूम और दंपती के साथ जिला अस्पताल में जो हुआ वह मानवीय संवेदनाओं को झकझोर कर देने वाला था। पहले ट्रामा सेंटर के अंदर डॉक्टर सिर्फ प्राथमिक उपचार तक सीमित रहे। हद तो तब हो गई जब रेफर करने के लिए 108 एंबुलेंस में लिटा दिया गया और दोनों एंबुलेंस के ड्राइवरों को लखनऊ से आइडी ही नहीं मिली, जिस कारण 20 मिनट तक वहीं खड़े रहे और अंदर तीन मासूम और दंपती तड़पते रहे।
पूरा परिवार तड़पता रहा, कागजी कार्रवाई के आगे
दरअसल, दोपहर करीब डेढ़ बजे पांचों पीड़ितों को जिला अस्पताल में लाया गया। वहां पर ट्रामा सेंटर में चार बेडों पर उन्हें लिटाया और प्राथमिक उपचार शुरू कर दिया। पूरा परिवार तड़पता रहा, लेकिन उन्हें आईसीसीयू में भर्ती करना भी उचित नहीं समझा। वहां पर मौजूद डॉक्टर बार-बार कहते नजर आए कि रेफर करो। इसके बाद रेफर के लिए कागजी कार्रवाई शुरू हुई, जो करीब आधा घंटे तक चली। कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद दो 108 एंबुलेंस बुलवाई गई। एक एंबुलेंस में विकास और एक बेटी, जबकि दूसरी एंबुलेंस में रजनी और दोनों छोटे बच्चों को लिटा दिया गया।
20 मिनट बाद चली बच्चों वाली एंबुलेंस
ड्राइवरों ने बताया कि लखनऊ से आइडी मिलने के बाद ही चलेंगे। वह बार-बार लखनऊ फोन कर आइडी मांगते रहे। इस प्रक्रिया में करीब 20 मिनट लगे। 20 मिनट बाद बच्चों वाली एंबुलेंस चली गई। जिस एंबुलेंस में दंपती थे वह महज 10 मीटर दूर जाकर फिर खड़ी हो गई। बताया कि आइडी में कोई समस्या है। करीब पांच मिनट तक खड़ी रही और तब जाकर मेडिकल के लिए रवाना हुई। इस दौरान परिजन और वहां मौजूद हर व्यक्ति यह कहता नजर आया कि पांच जिंदगी का सवाल है, जल्दी लेकर जाओ।