बताया जाता है कि मामा और दोनों भांजे अपने पांच साथियों के साथ हरियाणा की तरफ यमुना में स्नान करने गए थे। इस दौरान महेश व उसका भाई बोधू और मामा लोकेश यमुना के गहरे पानी में चले गए जहां पर तीनों डूब गए।
Shamli News : अमावस्या पर यमुना नहाने गए दो भाई और मामा डूबे, गोताखोरों की कोशिशें नाकाम
Aug 05, 2024 01:25
Aug 05, 2024 01:25
- यमुना नदी में करने गए थे स्नान
- सर्च अभियान में भी नहीं मिले तीनों
- परिवार को मिला ना भूला देने वाला दुख
प्राइवेट गोताखोरों ने यमुना में तीनों की तलाश की
तीनों को डूबते देख साथियों ने शोर मचा दिया। इस पर प्राइवेट गोताखोरों ने यमुना में तीनों की तलाश की। इसके बाद पीएसी के गोताखोरों ने मोटर बोट के सहारे सर्च अभियान चलाया, लेकिन देर शाम तक तीनों का कोई पता नहीं चल सका।
तीनों पानीपत में पत्थर लगाने का काम करते हैं
राजस्थान के जिले सीकर निवासी महेश व उसका सगा भाई बोधू अपने पारिवारिक मामा 35 वर्षीय लोकेश निवासी मोहल्ला बलई सिकरपुर, हरियाणा के पानीपत में थाना चांदनी बाग क्षेत्र के गांव रिसालू में किराये के मकान में रहते हैं। तीनों पानीपत में पत्थर लगाने का काम करते हैं।
तीनों को डूबते देख साथियों ने शोर मचाया
बताया जाता है कि रविवार सुबह करीब साढ़े सात बजे अमावस्या पर तीनों अपने पांच साथियों के साथ यमुना नदी में स्नान करने गए थे। इस दौरान महेश व उसका भाई बोधू और मामा लोकेश यमुना के गहरे पानी में चले गए। जहां पर तीनों लोग डूब गए। तीनों को डूबते देख साथियों ने शोर मचाया तो गोताखोरों ने यमुना में छलांग लगाते हुए उनकी तलाश की।
पीएसी की फ्लड यूनिट भी मौके पर
सूचना पर एसडीएम स्वप्निल यादव, सीओ अमरदीप मौर्य और कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची। कुछ देर बाद पीएसी की फ्लड यूनिट भी मौके पर पहुंची। पीएसी के गोताखोरों ने मोटर बोट के सहारे यमुना में डूबे तीनों युवकों की तलाश की। लेकिन शाम तक किसी का कुछ पता नहीं चल सका। पुलिस की सूचना पर राजस्थान से युवकों के परिजन भी मौके पर पहुंच गए। देर शाम तक यमुना में उनको तलाशने का काम चलता रहा।
यमुना में पहले भी हो चुके हैं डूबने के हादसे
यमुना में डूबने के हादसे पहले भी हो चुके हैं। जिसमें कई जिंदगी मौत की भेंट चढ़ चुकी हैं। बता दें यमुना नदी के किनारे पक्का घाट नहीं होने से ऐसे हादसे आए दिन होते रहते हैं। रेत खनन के कारण नदी के भीतर गड्ढे हो जाने से स्नान करने वाले को इसका अंदाजा नहीं होता। इसके चलते यमुना में लोग जिंदगी से हाथ धो बैठते हैं। कांवड़ यात्रा के दौरान भी चार दिन में करीब 20 कांवड़िये यमुना में डूबे। लेकिन गनीमत रही कि सभी को समय रहते गोताखोरों ने बाहर निकाल लिया था।
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