Saint premanand maharaj
संत प्रेमानंद महाराज ने जोर दिया कि मन और इंद्रियों की गुलामी को स्वतंत्रता के रूप में देखा जा रहा है, जबकि शास्त्र और गुरु की आज्ञा को बंधन माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि अपनी दृष्टि को पवित्र बनाना सबसे महत्वपूर्ण है।और पढ़ें