बनारस के पहाड़ी गांव में उभरा फुटबाल का नया मक्का : 300 युवा खिलाड़ियों के सपनों को दे रहा पंख

300 युवा खिलाड़ियों के सपनों को दे रहा पंख
UPT | पहाड़ी गांव में फुटबाल खिलाड़ी

Aug 17, 2024 13:27

यहां के 1500 परिवारों के 300 बच्चे, जिनमें लड़कियों की संख्या अधिक है, फुटबाल के प्रति अपने जुनून को जीते हैं। हर शाम, जब ये युवा खिलाड़ी अपने पुराने जूतों में मैदान की ओर निकलते हैं, तो गांव...

Aug 17, 2024 13:27

Short Highlights
  • पहाड़ी गांव में लोगों में फुटबॉल को लेकर जुनून
  • स्थानीय फुटबाल खिलाड़ी भैरव दत्त ने पहल की
  • गांव की 75 लड़कियां राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी हैं
Varanasi News :  बनारस के एक छोटे से गांव पहाड़ी में फुटबाल की एक अनोखी कहानी लिखी जा रही है। यहां के 1500 परिवारों के 300 बच्चे, जिनमें लड़कियों की संख्या अधिक है, फुटबाल के प्रति अपने जुनून को जीते हैं। हर शाम, जब ये युवा खिलाड़ी अपने पुराने जूतों में मैदान की ओर निकलते हैं, तो गांव एक जीवंत खेल गांव में तब्दील हो जाता है।

बांस के खंभों और कुर्सी से हुई शुरुआत
बताया जाता है कि 12 वर्ष पहले तक, इस गांव के बच्चे जुआ खेलने और बेकार घूमने में अपना समय बर्बाद करते थे। लेकिन यहां का परिदृश्य तब बदला जब स्थानीय फुटबाल खिलाड़ी भैरव दत्त ने इन बच्चों के लिए कुछ फुटबाल लाकर एक छोटी सी पहल की। उन्होंने एक खाली मैदान को साफ करवाया और बांस के खंभों और कुर्सियों से एक अस्थायी गोल पोस्ट बनाया, जिससे बच्चों को खेलने की जगह मिल सके।



शुरुआत में केवल कुछ ही बच्चे आते थे, लेकिन धीरे-धीरे यह संख्या बढ़ती गई। कोच भैरव ने अपनी जेब से पैसे खर्च करके बच्चों के लिए किट और जूते का इंतजाम किया। उनके इस प्रयास ने कई बच्चों को, जैसे कि सृष्टि को, जो अब तीन बार राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी हैं, फुटबाल की दुनिया में कदम रखने का अवसर दिया।

कोच भैरव ने की पहल
इस पहल को करने वाले भैरव सर, जो मूल रूप से पिथौरागढ़ के हैं और नौकरी के सिलसिले में काशी आए थे। उन्होंने इन बच्चों को न केवल फुटबाल सिखाया बल्कि उनके जीवन को एक नई दिशा दी। उनके प्रशिक्षण से कई खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुके हैं। कई ने खेल कोटे से नौकरियां प्राप्त की हैं और कुछ उच्च शिक्षा के लिए स्कॉलरशिप पर अध्ययन कर रहे हैं।

राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी हैं लड़कियां
यही नहीं गांव की 75 लड़कियां राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी हैं। यहां तक कि गांव के सबसे गरीब परिवार के बच्चे भी फुटबाल के माध्यम से अपना भविष्य संवार रहे हैं। पार्वती के परिवार की छह बहनों में से तीन फुटबॉलर हैं और दो राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी हैं। यह गांव अब एक ऐसी जगह बन गया है जहां फुटबाल सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि जीवन बदलने का एक माध्यम बन गया है।

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अब डेढ़ किलोमीटर दूर जाने की चुनौती
हालांकि, विकास के साथ चुनौतियां भी आई हैं। जिस मैदान पर इन बच्चों ने पहली बार फुटबाल खेलना सीखा, वहां अब एक इमारत खड़ी है। अब इन 300 खिलाड़ियों को अभ्यास के लिए डेढ़ किलोमीटर दूर बरेका जाना पड़ता है। लेकिन इन चुनौतियों के बावजूद, पहाड़ी गांव के युवा फुटबालरों का जोश कम नहीं हुआ है, और वे अपने सपनों को साकार करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।

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