Varanasi News : काशी में शंखनाद से शुरू हुआ लोलार्क कुंड में स्नान, लाखों ने लगाई डुबकी, जानें वजह...

काशी में शंखनाद से शुरू हुआ लोलार्क कुंड में स्नान, लाखों ने लगाई डुबकी, जानें वजह...
UPT | लोलार्क कुंड में स्नान करते श्रद्धालु।

Sep 09, 2024 11:33

लोलार्क षष्ठी पर संतान प्राप्ति की कामना को लेकर रात 12 बजे शंखनाद के साथ लोलार्क कुंड में स्नान आरंभ हो गया। एक दिन पहले से ही पूर्वांचल के जिलों से आए श्रद्धालु लोलार्क कुंड से पांच किलोमीटर के दायरे में लगाई...

Sep 09, 2024 11:33

Varanasi News : लोलार्क षष्ठी पर संतान प्राप्ति की कामना को लेकर रात 12 बजे शंखनाद के साथ लोलार्क कुंड में स्नान आरंभ हो गया। एक दिन पहले से ही पूर्वांचल के जिलों से आए श्रद्धालु लोलार्क कुंड से पांच किलोमीटर के दायरे में लगाई गई बैरिकेडिंग में कतारबद्ध हो गए। जिसमें लाखों की संख्या में दंपत्ति शामिल थे, जो देश के विभिन्न हिस्सों एवं विदेशों से स्नान करने पहुंचे हैं। श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए जगह जगह पुलिस बल तैनात किए गए हैं।

रात से ही कतारों लग गए लोग
वाराणसी के भदैनी स्थित लोलार्क कुंड में रविवार की मध्यरात्रि के बाद से ही स्नान का सिलसिला शुरू हो गया। लोग स्नान करने के लिए पहले से ही लाइन में लग गए। करीब पांच किलोमीटर तक लंबी बैरिकेडिंग की गई है, जिसमें दूरदराज से आए लोग अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। कोई एक दिन पहले से ही कतार में लगा हुआ था तो कोई दोपहर बाद पहुंचा। 

देश विदेश से पहुंचे श्रद्धालु
अस्सी और भदैनी के आसपास की गलियों में जगह-जगह लोग चूल्हा जलाकर प्रसाद तैयार करने में जुटे हुए थे। मंदिर के पुजारी ने बताया कि भाद्रपद शुक्ल षष्ठी पर कुंड में पत्नी के साथ तीन डुबकी लगाने की मान्यता है। रविवार की मध्यरात्रि के बाद षष्ठी तिथि में स्नान आरंभ हो गया। अधिकतर लोग उदया तिथि की मान्यता के अनुसार, सूर्योदय के बाद कुंड में डुबकी लगाए। लोलार्क कुंड में स्नान के लिए दंपती बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, बंगाल, नेपाल सहित आसपास के जिलों से काशी पहुंचे हैं।

ऐसा है कुआं
लोलार्क कुंड एक खड़े कुएं से जुड़ा हुआ और उसमें उतरने के लिए तीन तरफ से सीढ़ियां हैं। मान्यता है कि 50 फीट गहरे और 15 फीट चौड़े इस कुंड में लोलार्क षष्ठी पर स्नान से निसंतान दंपती की सूनी गोद भर जाती है। लोलार्क कुंड से जुड़ी मान्यताओं के कारण ही हर साल यहां स्नान करने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं। इस बार भी दो लाख लोगों के आने की संभावना है। आस्था और विश्वास की डुबकी मात्र से सूनी गोद में किलकारी गूंजती है।

क्या कहते हैं पुरोहित
काशी के तीर्थ पुरोहित पं. कन्हैया तिवारी का कहना है कि मान्यता है लोलार्क षष्ठी के दिन कुंड में स्नान करने और लोलार्केश्वर महादेव की पूजा करने से संतान की प्राप्ति और शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। यही कारण है कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को संतान की कामना से दंपती लोलार्क कुंड में तीन बार डुबकी लगाकर स्नान करते हैं। कुंड में स्नान के बाद दंपती को एक फल का दान कुंड में करना चाहिए। दंपती अपने भीगे कपड़े भी छोड़ देते हैं। कुंड में स्नान के बाद दंपती को लोलार्केश्वर महादेव के दर्शन करने चाहिए। स्नान के दौरान दंपती जिस फल या सब्जी का दान कुंड में करते हैं, मनोकामना पूर्ति तक उसे उसका सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं और स्नान करने वाली माताओं की मनोकामना पूरी होती है।

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