लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। राजनीतिक दल अब चुनावी मोड में आ चुके हैं।
Chandauli News : कभी कांग्रेस का था किला, अब भाजपा ने बनाया गढ़
Mar 21, 2024 19:02
Mar 21, 2024 19:02
चंदौली लोकसभा सीट राजनैतिक कारणों से हमेशा सुर्खिंयों में रहा
चंदौली लोकसभा सीट अपने राजनैतिक इतिहास की वजह से हमेशा सुर्खिंयों में रहा है। कभी यहां कांग्रेस का किला इतना मजबूत था कि समाजवादी पुरोधा डॉ राम मनोहर लोहिया भी उसे नहीं भेद पाए। कांग्रेस 1984 तक के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की। 1952 ,1957 त्रिभुवन नारायण सिंह ,1962 बालकृष्ण सिंह,1971सुधाकर पांडेय,1984 चंद्रा त्रिपाठी ने कांग्रेस का परचम लहराया था। इसके बाद राजनीतिक उठापटक के साथ कांग्रेस का बोलबाला समाप्त हो गया।1989 में बोफोर्स मुद्दे के बाद राजनीतिक परिवर्तन हुए और जनता दल ने जीत दर्ज की। इसके बाद राम मंदिर आंदोलन के साथ उपजे लहर ने भगवा ब्रिगेड को मौका दिया। भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार चंदौली संसदीय क्षेत्र में कदम रखा और पहली जीत भी दर्ज की। इसके बाद लगातार तीन जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया। भाजपा के आनंद रत्न लगातार तीन जीत हासिल करने वाले पहले सांसद बने। इसके बाद 1999, 2004 और 2009 में सपा, बसपा और सपा ने परचम लहराया। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बड़ी जीत दर्ज करते हुए अपना झंडा बुलंद किया। 2019 के चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर जीता और अपनी सियासत को पटरी पर ले आए।1991,1996,1998 आनंद रत्न मौर्या और 2014 और 2019 में महेंद्र नाथ पाण्डेय भाजपा से उम्मीदवार रहे। अब यहां पिछले दो चुनाव से भगवा परचम लहरा रहा है। इससे पहले भी बीजेपी यहां तीन बार जीत दर्ज कर चुकी है। यहां करीब-करीब सभी राजनीति दल जिसमें कांग्रेस पार्टी, सोशलिस्ट पार्टी, जनता पार्टी, जनता दल, भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी सबने जीत दर्ज की है। चंदौली लोकसभा में कांग्रेस पांच और बीजेपी सबसे ज्यादा पांच बार जीत दर्ज करने में कामयाब रही है। इस बार के चुनाव में बीजेपी ने जहां महेंद्र नाथ पांडेय को टिकट दिया है वहीं अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने वीरेंद्र सिंह पर दांव लगाया है। अब राजनीति काफी तेजी से करवट ले रही है।
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