बज़्में सुखन के तत्वावधान में मुगलसराय नगर के कसाब महल चौराहे पर क़ौमी एकता को समर्पित ऑल इंडिया मुशायरा एवं कवि सम्मेलन में देर रात तक लोगों ने गीतों और ग़ज़लों का लुत्फ उठाया। कार्यक्रम का प्रारम्भ सैयद जुनैद असरफ...
Chandauli News : बज़्म-ए-सुखन का मुशायरा, शबनम की रात में गीत गजलों में डूबे उतराए श्रोता...
Nov 12, 2024 15:38
Nov 12, 2024 15:38
जब से नजरें मिलीं गुमशुदा हो गया...
युवा कवि अरविंद कौशल ने जब से नजरें मिलीं गुमशुदा हो गया, दिल अभी था मेरा आपका हो गया, सुनाया तो लोग झूम गए। जनपद का युवा शायर अबु शहमा ने सुनाया कि हैं खुश बिठा के उसको बलंदी पे चंद लोग, शहमा ने जिसको नजरों से कब का गिरा दिया। नगर की उभरती कवयित्री रीना तिवारी ने यूं तो दुनिया में अपने बहुत हैं मगर मां से बढ़कर ज़माने में कोई नहीं, सुनाकर मां की महिमा का बखान किया। आकाश मिश्रा ने सुनाया कि ख्वाब आंखों ने उनका फिर देखा दिल ने चाहा जिनको भूलना था, उस्ताद शायर रौशन मुगलसरायवी ने हिंदी उर्दू के घनिष्ठ रिश्ते को इंगित करते हुए सुनाया, हिन्दी उर्दू हैं दो सगी बहनें दोनों को जाम गले लगाते हैं। ओज के कवि दान बहादुर सिंह ने मुकदमा जीतने का जश्न सब दुश्मन मनाते हैं, धरा ये जीत जाता गर हमारे साथ तुम होते सुनाकर सभी को विचार करने पर मजबूर कर दिया।
मैं उर्दू हूं सदा तहजीब के दामन में रहती हूं...
डॉक्टर प्रश्न सिंह ने सुनाया कि चाहा सदा मैं लिखा करूं मैं प्रेम गीत पर किस्मत से मुझको हर दफा मरसिया मिला। अंतरराष्ट्रीय शायरा फलक सुल्तानपुरी ने मैं उर्दू हूं सदा तहजीब के दामन में रहती हूं, फकत इंसान हूं मैं अम्न के गुलशन में रहती हूं, सुनाकर इंसानियत का संदेश दिया। डॉक्टर सुरेश अकेला, सुहैल उस्मानी, अब्दुर्रहमान नूरी, अरकम बहरियाबादी ने भी अपनी रचना सुनाकर महफिल में जान भरा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हज कमेटी उत्तर प्रदेश के पूर्व सदस्य जनाब परवेज़ अहमद जोखू रहे। अध्यक्षता दिनेश चंद्र एवं संचालन समर गाजीपुरी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन कनवीनर हाजी इलियास ने किया।
Also Read
14 Nov 2024 08:30 PM
देव दीपावली के मौके पर भगवान शिव की नगरी काशी पूरी तरह से सज चुकी है। इस साल देव दीपावली 15 नवंबर को मनाई जाएगी। वाराणसी में इस दिन गंगा के घाटों पर हजारों दीप जलाए जाते हैं और घाटों को रंग-बिरंगे झालरों से सजाया जा रहा है। इस दिन काशी में रूट डायवर्जन भी रहेगा। और पढ़ें