Chandauli News : काले धान के किसानों का स्याह भविष्य, नहीं मिला बाजार, जानें क्यों

काले धान के किसानों का स्याह भविष्य, नहीं मिला बाजार, जानें क्यों
सोशल मीडिया | काले धान की प्रजाति

Apr 03, 2024 17:14

वर्ष 1997 में बाबा विश्वनाथ की काशी नगरी से अलग होकर धान का कटोरा कहे जाने वाला क्षेत्र चंदौली के नए नाम से पहचाने जाने…

Apr 03, 2024 17:14

Chandauli News : वर्ष 1997 में बाबा विश्वनाथ की काशी नगरी से अलग होकर धान का कटोरा कहे जाने वाला क्षेत्र चंदौली के नए नाम से पहचाने जाने लगा। तत्कालीन मायावती सरकार ने जब इस क्षेत्र को जिला बनाने का निर्णय लिया था तो ऐसा लगा था कि वाराणसी के पूर्वी क्षेत्र स्थित यह क्षेत्र कृषि विकास के नए प्रतिमान स्थापित करेगा, लेकिन प्रशासनिक जिजीविषा की कमी ने काले धान के किसानों का भविष्य भी स्याह बना दिया है। 

चंदौली को काले धान का हब बनाने का प्रयास
योगी सरकार ने एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत चंदौली को काले धान का हब बनाने का प्रयास किया, लेकिन अफसरों के अदूरदर्शी निर्णयों ने धान की नई प्रजाति की खेती करने वाले किसानों की उम्मीदों को तार तार कर दिया। स्थिति यह रही कि जिन किसानों ने काले धान की खेती तमाम संसाधन लगा कर किया था उनको ना तो बाजार मिला और ना ही खरीदार। शासन की ओर से कहा गया था कि काले धान की विदेशों में बड़ी मांग है। जिला प्रशासन द्वारा कई तरह की कृषि प्रदर्शनियों में इसकी मांग को बढ़ा चढ़ा कर प्रस्तुत किया गया था। इससे उत्साहित होकर काफी संख्या में किसानों ने काले धान का बीजारोपण किया था, लेकिन जब फसल तैयार हुई तो इसके खरीदार नदारत मिले। अब काले धान की खेती करने वाले किसान अपने निर्णय पर पछताने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहे हैं। नई प्रजाति के धान को रोपने के लिए किसानों ने काफी धन भी लगाया था जिसकी भरपाई करना भी मुश्किल हो रहा है। चकिया के प्रगतिशील किसान राम अवध सिंह बताते हैं कि जिस जोर-शोर से काले धान के व्यवसाय को प्रचारित प्रसारित किया गया था दरअसल वह कहीं था ही नहीं। कहा गया था कि मधुमेह के रोग में यह धान हितकारी होगा, लेकिन अब तक औषधि गुण से भरपूर कहे जाने वाला धान अपने लिए बाजार नहीं ढूंढ सका।काले चावल की खेती करने वाले कांता जलालपुर गाँव के धनंजय मौर्य ने अब इसे उगाना बंद कर दिया है। "काले चावल की मिलिंग एक समस्या है। अधिकारियों को मध्यम और छोटे किसानों को उचित मिलिंग और प्रसंस्करण सुविधाओं तक पहुंच प्रदान करने की जरूरत है।

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