400 साल के लम्बे संघर्ष के बाद ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा की अनुमति मिल गई। इस फैसले पर व्यास परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई...
Gyanvapi Case : आखिर कैसे तहखाने में व्यास परिवार को मिला था पूजा का अधिकार, जानिए पूरी स्टोरी
Feb 02, 2024 14:53
Feb 02, 2024 14:53
जानकारी के लिए बता दें कि व्यासजी का तहखाना काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के भीतर ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिण में है। दरअसल, 1819 में तत्कालीन वाराणसी के मजिस्ट्रेट ने इसे हिंदुओं को देने का आदेश दिया था। जिसके बाद बताया जाता है कि 1819 में एक दंगा हुआ था, जिसको देखते हुए अंग्रेज़ी शासन ने हिन्दू-मुस्लिम के बीच विवाद शांत करने के लिए परिसर के ऊपरी हिस्से को मुस्लिमों और निचले हिस्से में स्थित तहखाने को हिंदुओं को दे दिया। उसके साथ ही ज्ञानवापी के बगल में रह रहे व्यास परिवार को एक तहखाना पूजा-पाठ के लिए दिया गया था।
1551 से यहां व्यास परिवार कर रहा था पूजा
1551 से 1993 तक व्यास परिवार ने इस जगह पर पूजा की। अयोध्या में बाबरी विध्वंस के बाद ज्ञानवापी की सुरक्षा के लिए घेराबंदी की गई। इसी के भीतर व्यास जी का तहखाना भी आ गया था। इसके साथ ही मस्जिद के मेन गेट को छोड़कर कहीं से भी अंदर जाने का रास्ता नहीं था, जिसके बाद वहां पर पूजा नहीं हो पाई। वहीं पिछले साल जब ज्ञानवापी के सर्वे का आदेश आया था, तो सोमनाथ व्यास के वंशज शैलेंद्र कुमार पाठक ने याचिका दायर की। जिसमें उन्होंने लिखा कि उनके पूर्वज तहखाने में पूजा-अर्चना करते थे। 1993 की तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की सरकार के आदेश के बाद तहखाने को प्रदेश सरकार के आदेश पर लोहे की बैरिकेडिंग से घेर दिया गया था, तब से ही पूजा-पाठ रोक दी गई।
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