अटाला माता मंदिर केस : पोषणीयता पर आदेश फिर टला, उच्च न्यायालय जाने की तैयारी में वादी पक्ष

पोषणीयता पर आदेश फिर टला, उच्च न्यायालय जाने की तैयारी में वादी पक्ष
UPT | अटाला माता मंदिर

Oct 05, 2024 17:05

आर्य संस्कृति संरक्षण ट्रस्ट और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के बीच चल रहे केस संख्या-72/2024 में पोषणीयता के आदेश की सुनवाई एक बार फिर टल गई है...

Oct 05, 2024 17:05

Short Highlights
  • एक बार फिर टली पोषणीयता के आदेश की सुनवाई 
  • अगली सुनवाई की तिथि 10 अक्टूबर निर्धारित
  • उच्च न्यायालय जा सकता है वादी पक्ष
Jaunpur News : वाराणसी के जौनपुर में आर्य संस्कृति संरक्षण ट्रस्ट और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के बीच चल रहे केस संख्या-72/2024 में पोषणीयता के आदेश की सुनवाई एक बार फिर टल गई है। वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि उन्होंने अपनी टीम जिसमें एडवोकेट अनिल कुमार सिंह, विनीत त्रिपाठी, सूर्या परमार व वरिष्ठ अधिवक्ता बी डी मिश्रा शामिल हैं, के साथ 22 मई को क्षेत्राधिकार और पोषणीयता पर बहस पूरी कर दी थी। जिसके बाद लिखित बहस भी अदालत में पेश की गई। लेकिन इसके बावजूद पोषणीयता पर आदेश अभी तक लंबित है।

पहले भी निर्धारित की जा चुकी है आदेश की तिथि
अजय प्रताप सिंह ने बताया कि पोषणीयता पर आदेश देने की तिथि पहले भी 28 मई, 11 जुलाई, 12 जुलाई, 20 अगस्त, 2 सितंबर, 27 सितंबर और 5 अक्टूबर को निर्धारित की गई थी, लेकिन न्यायालय ने कोई निर्णय नहीं लिया। वादी पक्ष ने 4 सितंबर को विशेष प्रार्थना पत्र भी दाखिल किया था, जिसमें न्यायालय से आदेश देने की अपील की गई थी कि उनकी बहस पूरी हो चुकी है और अब कोई नई बहस नहीं करनी है। ऐसे में कृपया आदेश देने की कृपा करें। लेकिन न्यायालय न तो केस को एडमिट कर रहा है, न ही खारिज कर रहा है और न ही विपक्ष गण को नोटिस जारी कर रहा है।



न्यायालय की स्थिति पर चिंता
अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने कहा कि न्यायालय का यह रवैया प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है और वादी पक्ष को निराश कर रहा है। उन्होंने बताया कि यदि स्थिति नहीं बदली, तो वह उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का निर्णय लेंगे। वर्तमान में अटाला माता मंदिर का केस माननीय सिविल जज श्री अनुज जौहर के समक्ष विचाराधीन है।

इस दिन होगी अगली सुनवाई
न्यायालय ने इस मामले की अगली सुनवाई की तिथि 10 अक्टूबर निर्धारित की है। आज की सुनवाई में आर्य संस्कृति संरक्षण ट्रस्ट के प्रदेश सचिव अनिमेष सिंह, अमर प्रताप गौतम, वरिष्ठ अधिवक्ता बी डी मिश्र और अन्य अधिवक्ता उपस्थित रहे। अगर जल्द ही न्यायालय द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया गया तो, इस मामले की जटिलताएं और भी बढ़ सकती हैं।

जानें पूरा मामला
दरअसल, आगरा के अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने 17 मई को जौनपुर की सिविल कोर्ट सीनियर डिवीजन में शहर के अटाला मस्जिद को अटाला माता का मंदिर बताते हुए केस फ़ाइल किया था। अधिवक्ता अजय प्रताप ने बताया कि अटाला मस्जिद मूल रूप से अटाला माता का मंदिर है। ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, अटाला माता मंदिर का निर्माण कन्नौज के राजा जय चंद्र राठौर ने करवाया था।

अतिक्रमण कर बना मस्जिद
अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के प्रथम निदेशक ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि अटाला माता मंदिर को तोड़ने का आदेश फिरोजशाह ने दिया था। लेकिन, हिन्दुओं के विरोध के बाद मंदिर नहीं टूट पाया। उसके बाद इब्राहिम शाह अतिक्रमण कर मंदिर का उपयोग मस्जिद के रूप में करने लगा।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की रिपोर्ट्स से मिले संकेत
अधिवक्ता ने यह भी बताया कि कलकत्ता स्कूल ऑफ आर्ट के प्रिंसिपल एबी हावेल ने अपनी किताब इंडियन आर्किटेक्चर इट्स साइकोलॉजी, स्ट्रक्चर एंड हिस्ट्री फ्रॉम द फर्स्ट मोहमदन इन्वेजन टू प्रिजेंट डे में अटाला मस्जिद की प्रकृति व चरित्र को हिन्दू बताया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की तमाम रिपोर्ट्स में मस्जिद का चित्र दिया है, जिसमें त्रिशूल, गुड़हल का फूल आदि मिला है। एसियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल के जनरल ने सन 1865 में अटाला मस्जिद के भवन पर कलश की आकृति का होना बताया है।

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