काशी की पावन नगरी में संगीत साधना : मां अन्नपूर्णा के दरबार में पंच वाद्य की प्रस्तुती, केरल से आए कलाकारों ने मोहा श्रद्धालुओं का मन

मां अन्नपूर्णा के दरबार में पंच वाद्य की प्रस्तुती, केरल से आए कलाकारों ने मोहा श्रद्धालुओं का मन
UPT | काशी की पावन नगरी में संगीत साधना

Dec 24, 2024 10:39

केरल से आए 15 सदस्यीय इस दल ने सोमवार को मां अन्नपूर्णा के दरबार में अपने पारंपरिक वाद्य यंत्रों की दिव्य प्रस्तुति देकर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

Dec 24, 2024 10:39

Varanasi News : काशी की पवित्र धरती पर इन दिनों दक्षिण भारतीय कलाकारों का एक दल अपनी संगीत साधना से भक्तों और दर्शकों का मन मोह रहा है। केरल से आए 15 सदस्यीय इस दल ने सोमवार को मां अन्नपूर्णा के दरबार में अपने पारंपरिक वाद्य यंत्रों की दिव्य प्रस्तुति देकर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

काशी की पावन नगरी में संगीत साधना
कहते हैं कि काशी केवल महादेव की नगरी नहीं, बल्कि यहां कला और संगीत का भी अद्वितीय स्थान है। नटराज जो सृष्टि में संगीत और नृत्य के प्रतीक माने जाते हैं। यही कारण है कि दक्षिण भारतीय कलाकारों ने अपनी साधना को एक नया आयाम देने के लिए काशी को चुना। दल ने सबसे पहले बाबा श्री काशी विश्वनाथ धाम में अपने वाद्य यंत्रों की प्रस्तुति दी थी। जिससे उनकी साधना को एक नई दिशा मिली। इसके बाद उन्होंने मां अन्नपूर्णा के दरबार में अपने शंख, घंटा, ढोल और नगाड़ों के माध्यम से ऐसा वातावरण बनाया कि भक्तगण आत्मविभोर हो गए।


वाद्य यंत्रों की अद्भुत प्रस्तुति
प्रस्तुति में पारंपरिक दक्षिण भारतीय वाद्य यंत्रों का इस्तेमाल किया गया। इन यंत्रों में शंख और घंटा की ध्वनि ने जहां भक्ति का भाव प्रकट किया, वहीं ढोल और नगाड़ों की गूंज ने पूरे परिसर को संगीतमय बना दिया। कलाकारों का कहना है कि इन वाद्य यंत्रों का प्रयोग न केवल भक्ति में गहराई लाने के लिए किया जाता है, बल्कि इनसे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह भी होता है।

आध्यात्मिक साधना का महत्व
मान्यता है कि काशी में की गई साधना साधक को अमरता का वरदान देती है। इसी विश्वास के साथ इन कलाकारों ने पहले बाबा विश्वनाथ और फिर मां अन्नपूर्णा के दरबार में अपनी कला का प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि यह केवल एक प्रस्तुति नहीं, बल्कि उनकी आत्मा की साधना का हिस्सा है। वाराणसी के स्थानीय लोग और पर्यटक इस अद्भुत प्रस्तुति को देखकर अभिभूत हो गए। लोगों ने इसे काशी की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपरा का संगम बताया। श्रद्धालुओं का कहना है कि इस तरह की प्रस्तुतियां काशी की महिमा को और बढ़ाती हैं।

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