कोर्ट के फैसले का विरोध : ज्ञानवापी मामले पर मौलाना के बिगड़े बोल, कहा- कानून की किताबों को आग लगा दो

 ज्ञानवापी मामले पर मौलाना के बिगड़े बोल, कहा- कानून की किताबों को आग लगा दो
UPT | ज्ञानवापी मामले पर मौलाना के बिगड़े बोल

Feb 02, 2024 16:31

मौलाना ने कहा कि अगर मुसलमानों की ये सोच होती कि हमें सभी मंदिरों को तोड़ देना है, तो मंदिर-मस्जिद कुछ नहीं बचते। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने यह फैसला जल्दबाजी में लिया है।

Feb 02, 2024 16:31

Short Highlights
  • मौलाना ने कहा- कानून की किताबों को आग लगा दो
  • सुप्रीम कोर्ट में ले जायेंगे ज्ञानवापी मुद्दा : मौलाना अरशद मदनी
  • बोले- ईमानदारी से फैसला न लेने पर देश में होंगे दंगे 
Gyanvapi Case : 2 फरवरी को ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले की अगली सुनवाई 6 फरवरी को होगी। हालाँकि तब तक के लिए ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा पर कोर्ट द्वारा कोई रोक नहीं लगाई गई है और पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश भी दिया दिया है। हालाँकि इन सब मामलों पर जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने भड़काऊ प्रतिक्रिया दी है। 

'कानून की किताबों को आग लगा दो'
उन्होंने कहा कि 'हमने 1991 में बने कानून पर भी ऐतराज जताया था कि इस कानून से बाबरी मस्जिद को क्यों हटाया जा रहा है। जहां बाबरी मस्जिद है वहां रामजन्मभूमि नहीं है। बाबरी मस्जिद के फैसले ने बताया कि ऐसा किसी भी मस्जिद के साथ हो सकता है। इतना ही नहीं इसके बाद उनके शब्द बेबाक होते चले गए और उन्होंने कहा कि कानून की किताबों को आग लगा दो। अगर यही चलेगा किसी भी धर्म को न्याय नहीं मिलेगा। लॉ आप क्यों पढ़ाते हैं।' उन्होंने आगे कहा कि 'आजादी के बाद मुसलमान मुल्क में इस तरह के मसलों में घिरा हुआ है। इस समय जिस तेजी से ये मसले उठे हैं, मानो कोर्ट में लचक और ढील पैदा हुई है। इबादतगाहों पर कब्जा करने वाले सफल हो रहे हैं।'

'फिर तो मंदिर-मस्जिद कुछ नहीं बचते'
मौलाना ने कहा कि अगर मुसलमानों की ये सोच होती कि हमें सभी मंदिरों को तोड़ देना है, तो मंदिर-मस्जिद कुछ नहीं बचते। उन्होंने कहा कि 'कोर्ट ने यह फैसला जल्दबाजी में लिया है। दूसरे पक्ष को बहस का मौका नहीं दिया गया। इंसाफ देने वाले इदारों को चोट पहुंची है। बाबरी मस्जिद के फैसले में ये कहा है कि मंदिर तोड़ कर मस्जिद नहीं बनाई गई। कोर्ट का काम आस्था पर फैसला करना नहीं है। दलील के हिसाब से इंसाफ किया जाता है। इस फैसले से आपसी दूरी पैदा करने की कोशिश की जा रही है।'

'नहीं तो देश में दंगे शुरू हो जाएंगे'
जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष ने कहा कि '1991 का कानून अहम कानून है। हालाँकि इस कानून की सहायता से झगड़े बंद हो सकते हैं। इस कानून पर अगर मुल्क में ईमानदारी छोड़ कर एक पक्ष में फैसले होने लगे तो देश में दंगे शुरु हो जाएंगे। इंसाफ का एक ही पैमाना होना चाहिए। अगर इससे भरोसा लोगों का उठ जाए तो ये देश के लिए ठीक नहीं है। हम इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे। इसे सही तौर पर कोर्ट में रखेंगे और सच्चाई सबके सामने जरूर आएगी।'

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