कैंट क्षेत्र के फुलवारिया में नवचेतना कला एवं विकास समिति ने 32 सालों से गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश की है। इस समिति द्वारा श्री रामलीला का आयोजन किया जा रहा है, जो इस साल नवरात्र के पहले दिन से शुरू होगा
रामलीला बना गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल : मुस्लिम परिवार आयोजित करवाते हैं कार्यक्रम, बच्चे निभाते हैं किरदार
Oct 02, 2024 19:42
Oct 02, 2024 19:42
1992 से लगातार हो रहा आयोजन
नवचेतना कला एवं विकास समिति फुलवरिया द्वारा श्री रामलीला का आयोजन 1992 से लगातार किया जा रहा है। यह वाराणसी की प्रसिद्ध रामलीलाओं में से एक है, जिसे देखने के लिए आसपास के गांवों के लोग जुड़ते हैं। रामलीला के संस्थापक अध्यक्ष नजमुद्दीन थे, जो अपने जीवनकाल तक निर्विवाद अध्यक्ष रहे। आज भी उनका पूरा परिवार रामलीला से जुड़ा हुआ है और विभिन्न पात्रों की भूमिका निभाते हैं। श्री रामलीला में श्रृंगार का काम आशिक अली द्वारा किया जाता है।
बच्चे निभाते हैं पात्र
अध्यक्ष हेमंत कुमार सिंह ने बताया कि रामलीला में सभी पात्र गांव के ही बच्चों द्वारा निभाए जाते हैं। इस रामलीला का उद्देश्य सभी वर्गों को जोड़ना और रामलीला मंचन के माध्यम से किशोरों एवं युवाओं की प्रतिभाओं को सम्मानित करना है। इसके तहत एक सम्मान समारोह का आयोजन किया जाता है, जिससे प्रतिभाओं को प्रोत्साहित किया जा सके।
रामलीला के प्रति मुस्लिमों की आस्था
रामलीला के संस्थापक अध्यक्ष नजमुद्दीन के भाई गुलामुद्दीन ने बताया कि रामलीला की शुरुआत के साथ वे लोग जुड़े हैं। फुलवरिया में मुस्लिम समुदाय के लगभग 200 सदस्य होंगे। मुस्लिम परिवार के बच्चे भी अपनी भूमिका निभाते हैं और इस समुदाय में रामलीला के प्रति काफी रुचि है। उन्होंने आगे कहा कि 60 फुट ऊंची रावण की प्रतिमा का निर्माण किया जाता है, जो वाराणसी में चर्चा का विषय बनता है। रामलीला में मुस्लिम परिवार के बच्चों को जो भी भूमिका मिलती है, वे उसे ईमानदारी के साथ निभाते हैं।
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