वाराणसी-कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे पर हरियाली की चुनौती : यूपी के बनारस में अटका काम, युद्ध स्तर पर समाधान के प्रयास

यूपी के बनारस में अटका काम, युद्ध स्तर पर समाधान के प्रयास
UPT | वाराणसी-कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे

Aug 09, 2024 18:09

उत्तर प्रदेश के वाराणसी से कोलकाता तक प्रस्तावित 610 किलोमीटर लंबा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे भारतमाला परियोजना के तहत एक महत्वपूर्ण विकास योजना है...

Aug 09, 2024 18:09

Varanasi News : उत्तर प्रदेश के वाराणसी से कोलकाता तक प्रस्तावित 610 किलोमीटर लंबा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे भारतमाला परियोजना के तहत एक महत्वपूर्ण विकास योजना है। इस एक्सप्रेसवे के निर्माण के बाद, वाराणसी से कोलकाता तक की यात्रा केवल 6 घंटे में पूरी की जा सकेगी। यह एक्सप्रेसवे पुराने राष्ट्रीय राजमार्ग 2 के समानांतर होगा। ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे पर वाहन 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकेंगे। यह मार्ग उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से होकर गुजरेगा, जिसमें उत्तर प्रदेश में लगभग 22 किलोमीटर का हिस्सा शामिल होगा।

एक्सप्रेसवे के निर्माण में आई अड़चन
वाराणसी से कोलकाता तक ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के निर्माण में एक प्रमुख बाधा सामने आई है - हरियाली से जुड़ी समस्याएं। कोलकाता की दिशा में छह लेन की सड़क का निर्माण तेजी से चल रहा है, जबकि बनारस की ओर से काम की शुरुआत में अड़चनें आई हैं। यह एक्सप्रेसवे स्थानीय लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे उनकी यात्रा आसान हो जाएगी। सरकार को इस परियोजना के तेजी से पूर्ण करने की दिशा में कदम उठाने चाहिए, ताकि लोगों को कोई असुविधा न हो।

लोगोें को हो रही असुविधा
एनएचएआइ के अधिकारियों ने जानकारी दी है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने वन विभाग के लिए 37 हेक्टेयर भूमि को चिन्हित किया है, जिसमें पांच हेक्टेयर कैमूर वाइल्डलाइफ सेंचुरी के अंतर्गत आता है। इस कारण, निर्माण कार्य की शुरुआत के लिए एनजीटी से अनुमति मांगी गई है। निर्माण कार्य में देरी के कारण स्थानीय लोगों को वर्तमान में असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।

शहरों में कनेक्टिविटी में होगा सुधार
एक्सप्रेसवे के निर्माण से ट्रैफिक में कमी आएगी और विभिन्न शहरों के बीच यात्रा का समय घटेगा, जिससे उन शहरों में कनेक्टिविटी में सुधार होगा। पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में समुद्री व्यापार के लिए कोलकाता और हल्दिया बंदरगाहों का इस्तेमाल होता है। इस एक्सप्रेसवे के चलते माल की आवाजाही की गति तेज होगी, जिससे व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। इसके परिणामस्वरूप, उद्योगों का विकास होगा और नए रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे।

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