Varanasi News : एंटी करप्शन ने फर्म सोसाइटीज के लिपिक को किया था गिरफ्तार, कोर्ट ने जमानत खारिज कर दिया

एंटी करप्शन ने फर्म सोसाइटीज के लिपिक को किया था गिरफ्तार, कोर्ट ने जमानत खारिज कर दिया
UPT | प्रतीकात्मक फोटो

Oct 01, 2024 22:06

विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम-3 वाराणसी की पीठासीन जज सपना शुक्ला के न्यायालय में मुकदमा अपराध संख्या 21 थाना एंटी करप्शन..

Oct 01, 2024 22:06

Varanasi News : विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम-3  वाराणसी की पीठासीन जज सपना शुक्ला के न्यायालय में मुकदमा अपराध संख्या- 21 थाना एण्टी करप्शन/ पाण्डेयपुर लालपुर द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में फर्म सोसाइटीज एवं चिट्स के गिरफ्तार लिपिक अरविन्द कुमार गुप्ता के प्रथम जमानत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई हुई। जिसमें न्यायालय ने अभियुक्त के लोकसेवक दायित्व में भ्रष्टाचार कर लोकनीति एवं नैतिकता का हनन है, गंभीरता को देखते हुए जमानत खारिज कर दिया।



शासकीय अधिवक्ता प्रमथेश पाण्डेय एवं कमलेश यादव ने सरकार के तरफ से पक्ष रखते हुए अभियुक्त के उक्त कृत्य को गंभीर अपराध बताते हुए कहा कि लोक सेवक पद पर बैठकर खुलेआम रिश्वत लेना दण्डनीय अपराध है। शिकायत कर्ता डॉ. संजय सिंह गौतम के अधिवक्ता प्रेम प्रकाश सिंह गौतम ने कहा कि 2008 में भी उक्त अभियुक्त गोरखपुर में रंगेहाथ रिश्वत लेते हुये गिरफ्तार हो चुका है। जिससे सिद्ध होता है कि अभियुक्त हबीचुअल भ्रष्टाचारी है, इसलिये न्यायालय से अपील है कि लोकसेवक द्वारा इनके भ्रष्टाचार के कृत्य की गंभीरता को देखते हुए जमानत खारिज करके न्याय किया जाए। 

चार हजार रुपए लेते हुए पकड़ा था
ज्ञातव्य हो कि प्रबोधिनी फाउण्डेशन के संयुक्त सचिव डॉ. संजय सिंह गौतम ने अपनी संस्था के नवीनीकरण एवं प्रबन्ध कमेटी सूची पंजीकरण के लिए अभियुक्त ने रिश्वत मांग की शिकायत पर एन्टी करप्शन विभाग द्वारा अभियुक्त को 4,000/-रूपया लेते हुए ट्रैप टीम ने पकड़ा था और उक्त धनराशि अभियुक्त के कब्जे से बरामद कर 11 सितम्बर को मुकदमा पंजीकृत किया था ।

14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा जेल
 12 सितम्बर को उक्त न्यायालय में पेश किया जिसको न्यायालय ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया, विवेचक ने चिट्स फर्म सोसाइटीज कार्यालय का सीसीटीवी विडियो सहित अन्य साक्ष्य सबूत न्यायालय में शासकीय अधिवक्ता के माध्यम से पेश किए, जिसका अवलोकन कर एवं विद्वान अधिवक्ताओं ने बहस के दौरान कहा कि उक्त प्रकरण एक लोक सेवक द्वारा भ्रष्टाचार किये जाने तथा घूस की धनराशि प्राप्त किये जाने से संबंधित है, जो लोकनीति तथा नैतिकता के भी विरूद्ध है जो स्वयं में गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। 

 प्रकरण के तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए अभियुक्त की ओर से प्रस्तुत प्रथम जमानत प्रार्थनापत्र को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम स्वीकार किये जाने का आधार पर्याप्त न्यायालय ने नहीं पाया। इसलिए न्यायालय ने प्रथम जमानत प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया गया ।

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