विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने बुधवार को भिखारीपुर स्थित हनुमानजी मंदिर पर पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के खिलाफ विरोध सभा आयोजित की...
निजीकरण के टेंडर प्रकाशित होने पर बिजलीकर्मियों का बढ़ा आक्रोश : 18 जनवरी तक काली पट्टी बांधकर करेंगे विरोध
Jan 15, 2025 20:46
Jan 15, 2025 20:46
नोटिस जारी होने के बाद बढ़ा कर्मचारियों में गुस्सा
संघर्ष समिति के सदस्य बताते हैं कि बिजली के निजीकरण के लिए टेंडर नोटिस जारी होने के बाद से कर्मचारियों में गुस्सा बढ़ गया है, और अब लोग सड़कों पर उतरकर विरोध कर रहे हैं। समिति ने यह भी कहा कि काली पट्टी बांधकर विरोध का अभियान 18 जनवरी तक जारी रहेगा और इस दिन के बाद आगामी कार्यक्रमों की घोषणा की जाएगी। कर्मचारियों का कहना है कि यह विरोध तब तक जारी रहेगा, जब तक निजीकरण का फैसला वापस नहीं लिया जाता।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों का बयान
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि निजीकरण के लिए जारी आरएफपी डॉक्यूमेंट में कर्मचारियों के खिलाफ सारी शर्तें लिखी गई हैं। निजीकरण के बाद हजारों कर्मचारी निजी कंपनियों के रहमों करम पर होंगे, और उनके पास सिर्फ दो विकल्प होंगे- या तो निजी कंपनी की शर्तों पर काम करें, या फिर वीआरएस लेकर घर जाएं। आरएफपी में अर्ली वीआरएस का उल्लेख किया गया है, जो कर्मचारियों के लिए नुकसानदायक है, क्योंकि निजी कंपनियां सरकारी कर्मचारियों को काम पर नहीं रखेगी।
समिति ने इन कार्यों की कड़ी निंदा की
संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि निजीकरण के कारण 50,000 संविदा कर्मचारियों की नौकरी चली जाएगी और 26,000 नियमित कर्मचारियों की छटनी होगी। इसके अलावा, विरोध को दबाने के लिए प्रबंधन द्वारा संविदा कर्मचारियों को हटाने और नियमित कर्मचारियों को निलंबित करने जैसे अवैध कार्य किए जा रहे हैं। समिति ने इन कार्यों की कड़ी निंदा की और सरकार से निजीकरण के फैसले को वापस लेने की अपील की।