सारनाथ जू में बनेगा जलज केंद्र : नमामि गंगे परियोजना के तहत होगा तैयार, वेस्टेज से बने सामान की होगी बिक्री

नमामि गंगे परियोजना के तहत होगा तैयार, वेस्टेज से बने सामान की होगी बिक्री
UPT | सारनाथ जू

Oct 15, 2024 14:23

वाराणसी के सारनाथ चिड़ियाघर में नमामि गंगे परियोजना के तहत एक जलज केंद्र की स्थापना की जा रही है। जिसका निर्माण कार्य 25 लाख रुपये की लागत से किया जा रहा है। यह केंद्र प्रदेश...

Oct 15, 2024 14:23

Varanasi News : वाराणसी के सारनाथ चिड़ियाघर में नमामि गंगे परियोजना के तहत एक जलज केंद्र की स्थापना की जा रही है। जिसका निर्माण कार्य 25 लाख रुपये की लागत से किया जा रहा है। यह केंद्र प्रदेश में स्थापित किया जा रहा दूसरा जलज केंद्र होगा। पहले का निर्माण कानपुर में हुआ है। इस नए जलज केंद्र के निर्माण से सारनाथ जू को एक विशेष पहचान मिलेगी।

जलज केंद्र का उद्देश्य और विशेषताएँ
इस जलज केंद्र का मुख्य उद्देश्य न केवल जानवरों और पक्षियों के संरक्षण के लिए जानकारी को इकट्ठा करना है, बल्कि यह गंगा नदी के किनारे बसे गांवों के विकास में भी सहायक होगा। केंद्र के माध्यम से ग्रामीणों द्वारा निर्मित वस्तुओं की बिक्री की जाएगी। जो जू में आने वाले पर्यटकों के लिए उपलब्ध होंगी। इसके लिए कुछ न्यूनतम मूल्य तय किए जाएंगे। जिससे हर कोई इन उत्पादों को आसानी से खरीद सके। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार यह जलज केंद्र राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की परियोजना के अंतर्गत बनाया जा रहा है।


स्थानीय समुदाय की भागीदारी
गंगा किनारे रहने वाले ग्रामीण जो अक्सर गंगा में पड़े कचरे से अच्छे सामान बनाते हैं, उनके लिए यह केंद्र एक सुनहरा अवसर प्रदान करेगा। इन लोगों के पास अपने उत्पादों को बेचने की जानकारी का अभाव है। जिससे वे अपनी मेहनत का उचित मूल्य नहीं प्राप्त कर पाते। जलज केंद्र के माध्यम से उन्हें न केवल बाजार मिलेगा बल्कि ट्रेनिंग भी प्रदान की जाएगी।

उत्पादों की विविधता
जलज केंद्र पर विभिन्न प्रकार के ऑर्गेनिक उत्पाद, हाथ से बने डिजाइन, हस्तशिल्प, नक्काशी, बैग, साड़ी, आचार, शहद, धूपबत्ती और जानवरों से जुड़ी किताबों की बिक्री की जाएगी। विशेष रूप से विदेशियों के लिए गिफ्ट आइटम भी उपलब्ध रहेंगे। 

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लोगों को दिया जाएगा प्रशिक्षण कार्यक्रम
डब्लूआईआई के अधिकारियों ने बताया कि गंगा किनारे रहने वाले लोगों की एक प्रारंभिक टीम बनाई जाएगी, जिसे आवश्यकतानुसार प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण उन्हें उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद बनाने में सक्षम बनाएगा। जिससे उनकी आत्मनिर्भरता बढ़ेगी। प्रशिक्षण कार्यक्रम के बाद इन लोगों की निगरानी में ही उत्पादों का निर्माण और बिक्री की प्रक्रिया संचालित की जाएगी।

सप्ताह में छह दिन खुला रहेगा केंद्र
यह जलज केंद्र सप्ताह में छह दिन खुला रहेगा और केवल शुक्रवार को बंद रहेगा। इससे न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा बल्कि गंगा नदी के संरक्षण और जैव विविधता को भी प्रोत्साहन मिलेगा। इस पहल के माध्यम से न केवल जानवरों और पक्षियों का संरक्षण किया जाएगा बल्कि स्थानीय लोगों को भी रोजगार और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक नया रास्ता मिलेगा।

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