दिवाली से पहले उल्लुओं पर आफत : दिन-रात निगरानी में लगा वन विभाग, अंधविश्वास का अंत कब?

दिन-रात निगरानी में लगा वन विभाग, अंधविश्वास का अंत कब?
UPT | दिवाली से पहले उल्लुओं पर आफत

Oct 27, 2024 20:32

दिवाली से पहले उल्लुओं की जान पर आफत बन जाती है। दिवाली के मौके पर उल्लुओं का इस्तेमाल तंत्र मंत्र के लिए किया जाता है। इन दिनों उल्लुओं का जमकर शिकार किया जाता है

Oct 27, 2024 20:32

Short Highlights
  • दिवाली से पहले उल्लुओं पर आफत
  • दिन-रात निगरानी में लगा वन विभाग
  • उल्लुओं की होती है तस्करी
Agra News : दिवाली से पहले उल्लुओं की जान पर आफत बन जाती है। दिवाली के मौके पर उल्लुओं का इस्तेमाल तंत्र मंत्र के लिए किया जाता है। इन दिनों उल्लुओं का जमकर शिकार किया जाता है और फिर इनकी तस्करी की जाती है। इस कारण वन विभाग को दिवाली के मौके पर काफी मशक्कत करनी पड़ती है।

बाह रेंज में दो प्रजातियां
आगरा की चंबल सेंक्चुअरी की बाह रेंज में उल्लू की दो प्रजातियाँ, मुआ और घुग्घू, प्राकृतिक आवास में पाई जाती हैं। मुआ प्रजाति पानी के निकट रहती है, जबकि घुग्घू पुरानी खंडहरों और पेड़ों पर बसेरा करता है। दोनों प्रजातियों के नर और मादा एक समान होते हैं, जो इन्हें पहचानने में चुनौती पेश करते हैं। इस क्षेत्र में उल्लुओं का दिखना आम है, खासकर नदी किनारे के टीलों, खंडहरों और पेड़ों पर। इनकी संख्या बढ़ाने के लिए वन विभाग ने कई कदम उठाए हैं।



उल्लुओं को लेकर अंधविश्वास
हर साल दिवाली पर उल्लू की बलि को लेकर अंधविश्वास प्रचलित है, जिसे समाप्त करने के लिए वन विभाग ने पहरेदारी बढ़ा दी है। रेंजर उदय प्रताप सिंह के अनुसार, यह अंधविश्वास न केवल उल्लुओं के जीवन को खतरे में डालता है, बल्कि तस्करी का भी कारण बनता है। इस संदर्भ में 60 वन समितियों और तटवर्ती ग्रामीणों को जागरूक किया गया है, ताकि वे उल्लू की सुरक्षा में सक्रिय भूमिका निभा सकें। लोग उल्लू को पकड़ने या मारने वालों के खिलाफ सूचना देने के लिए प्रेरित किए जा रहे हैं।

वन विभाग कर रहा निगरानी
हालांकि चंबल सेंक्चुअरी में उल्लू की तस्करी के मामले अभी तक सामने नहीं आए हैं, फिर भी वन विभाग सतर्क है। मुआ और घुग्घू की तस्करी का खतरा उनके वजन, आकार, रंग, नाखून और पंख के आधार पर बढ़ रहा है। मुआ की पहचान उसके कत्थई पर और गहरे भूरे रंग की दुम से होती है, जबकि घुग्घू भूरा रंग का होता है। दोनों प्रजातियाँ मुख्यतः चिड़िया, चूहे, मेंढक और मछलियाँ खाती हैं। वन विभाग ने इनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपनी कार्यवाही तेज कर दी है।

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