ताजमहल के बाद फतेहपुर सीकरी पर विवाद : अदालत में दायर की गई याचिका, 7 अक्टूबर को सुनवाई

अदालत में दायर की गई याचिका, 7 अक्टूबर को सुनवाई
UPT | ताजमहल के बाद फतेहपुर सीकरी पर विवाद

Sep 11, 2024 20:32

ताजमहल के विवाद के बाद अब फतेहपुर सीकरी को लेकर विवाद शुरू हो गया है। बुधवार को आगरा कोर्ट में फतेहपुर सीकरी को विजयपुर सीकरी बताते हुए एक केस दायर किया गया है।

Sep 11, 2024 20:32

Short Highlights
  • ताजमहल के बाद फतेहपुर सीकरी पर विवाद
  • विजयपुर सीकरी होने का दावा
  • किताबों का दिया गया रेफरेंस
Agra News : ताजमहल के विवाद के बाद अब फतेहपुर सीकरी को लेकर विवाद शुरू हो गया है। बुधवार को आगरा कोर्ट में फतेहपुर सीकरी को विजयपुर सीकरी बताते हुए एक केस दायर किया गया है। यह केस वकील अजय प्रताप सिंह द्वारा दायर किया गया है। 7 अक्टूबर को इस केस की सुनवाई होगी।

विजयपुर सीकरी होने का दावा
वादी वकील अजय प्रताप सिंह का कहना है कि फतेहपुर सीकरी मूल रूप से विजयपुर सीकरी है। इसे सिकरवार वंश के राजाओं द्वारा बसाया गया था। उन्होंने शोध के दौरान पाया कि वर्ष 1978-1988 के बीच भारत सरकार के तत्कालीन शिक्षा मंत्री नुरुल हसन ने एक राष्ट्रीय प्रोजेक्ट के तहत फतेहपुर सीकरी का उत्खनन और पुरातात्विक अवशेषों के अध्ययन की व्यवस्था की थी। यह उत्खनन अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा किया गया था। यह उत्खनन अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के आरसी गौड़ और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के डब्लूएच सिद्दीकी के निर्देशन में हुआ। 11 वर्षों तक चले इस उत्खनन के परिणाम की रिपोर्ट आज तक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा प्रकाशित नहीं की गई है।

किताबों का दिया रेफरेंस
अजय प्रताप सिंह ने केस के साथ सबूत पेश किए हैं कि बदायूं ने अपनी पुस्तक 'मुंतखिब उल तवारीख़' में फतेहपुर सीकरी में स्थित अनूप तालाब का निर्माण अकबर द्वारा पूरा किए जाने का उल्लेख किया है। अनूप तालाब के नीचे के कमरे को इबादतखाना बताया गया है। वहीं एसएए रिजवी ने इबादतखाना को जामा मस्जिद और जोधबाई के महल के बीच स्थित बताया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग आगरा सर्किल के पूर्व अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. डीवी शर्मा ने इसे दीवान-ए-खास के बगल में बताया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग आगरा सर्किल के पूर्व अधीक्षण पुरातत्वविद केके मोहम्मद ने जामा मस्जिद के पीछे अकबर का इबादतखाना नाम से एक नया स्मारक निर्माण किया, जो कानूनी रूप से एक अपराध है। भेद खुलने पर ASI ने इसे तोड़ा था। इसी वजह से उन्होंने अपने केस में केके मोहम्मद को विपक्षी बनाया है।

केस में हैं 4 वादी
इस केस के चार वादी हैं: अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह, आर्य संस्कृति संरक्षण ट्रस्ट, योगेश्वर श्रीकृष्ण सांस्कृतिक अनुसंधान संस्थान ट्रस्ट, क्षत्रिय शक्तिपीठ विकास ट्रस्ट। विपक्षी केके मोहम्मद, टूरिस्ट एसोसिएशन फतेहपुर सीकरी हैं। केस संख्या-1049/2024 है। इसकी सुनवाई सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट संख्या-1 में हुई। कोर्ट ने नोटिस जारी करने का आदेश देते हुए केस की अगली सुनवाई की तिथि 7 अक्टूबर नियत की है।

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