आगरा में वन विभाग और वाइल्ड लाइफ एसओएस ने आधा दर्जन से अधिक ऐसे लंगूरों को मुक्त कराया है, जो लंबे समय से कैद में थे। अवैध वन्यजीव शोषण के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उत्तर प्रदेश वन विभाग...
Agra News : वन विभाग का एक्शन, कैद में रखे लंगूरों को मुक्त कराया, जानें क्या हैं नियम...
Apr 23, 2024 14:21
Apr 23, 2024 14:21
कोर्ट की मंजूरी के बाद प्राकृतिक आवास में छोड़ा
अवैध वन्यजीव शोषण अभियान में, उत्तर प्रदेश वन विभाग को आगरा के सदर क्षेत्र में एक आवासीय कॉलोनी में बंधे 8 लंगूरों के बारे में शिकायत मिली थी। सूचना मिलने पर वन विभाग ने कार्रवाई करते हुए सभी लंगूरों को बचाया। उनमें छह मादा, दो नर और एक बच्चा शामिल था। लंगूरों को अलग-अलग पिंजरों में बंद कर उन्हें सुरक्षित रूप से स्थानांतरित किया गया। अदालत से अनुमति प्राप्त करने के बाद उन्हें वाइल्डलाइफ एसओएस की सहायता से उनके प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया गया।
इन जानवरों को रखना कानून अवैध
प्रभागीय वन अधिकारी आदर्श कुमार ने कहा कि यह एक अवैध व्यापार है। हम कई लोगों को ट्रैक करने और इस प्रथा को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। लंगूर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची II के तहत संरक्षित है। अन्य जंगली जानवरों को रखना जैसे तोता और कछुए भी अवैध हैं।
छोड़ने से पहले करते हैं स्वास्थ्य परीक्षण
कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर बैजूराज एमवी ने कहा कि हम मानव-वन्यजीव संघर्ष और जंगली जानवरों की अवैध खरीद फरोख्त को कम करने के लिए दो दशकों से भी अधिक समय से वन विभाग के साथ काम कर रहे हैं। चूंकि हमारे पास वन्यजीव अस्पताल है और जानवरों की जांच के लिए सुविधाएं और पशु चिकित्सा टीम है, इसलिए हम उन्हें जंगल में छोड़ने से पहले उनकी अच्छे से चिकित्सकीय परीक्षण करते हैं।
लंगूर और बंदरों में सदियों पुरानी दुश्मनी
लंगूर और बंदर की सदियों पुरानी प्रतिद्वंद्विता का फायदा उठाते हुए शिकारी जंगल से लंगूरों को पकड़ लेते हैं, ताकि उन्हें विभिन्न शहरों में बढ़ते बंदरों के खतरे से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जा सके। हालांकि यह पूर्ण रूप से गलत है।
इन देशों में पाए जाते हैं ग्रे लंगूर
भारतीय ग्रे लंगूर काले चेहरे और कानों वाला एक बड़ा प्राइमेट है। पेड़ों पर संतुलन बनाए रखने के लिए इसकी एक लंबी पूंछ होती है। लंगूर सबसे अधिक भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश और पाकिस्तान में पाए जाते हैं। वे रेगिस्तानों, वर्षा वनों और पर्वतीय आवासों में निवास करते हैं। वे मानव बस्तियों के लिए अच्छी तरह से अनुकूलित हो सकते हैं। ये गांवों, कस्बों और आवास या कृषि वाले क्षेत्रों में भी देखे जा सकते हैं।
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