अटल बिहारी वाजपेयी और उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ने कानपुर के डीएवी कॉलेज से एक साथ लॉ की पढ़ाई की थी। राम सिंह आजाद का कहना है कि अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म के बाद उनके पिता उन्हें बटेश्वर में छोड़ गए। यही उनका पालन पोषण हुआ...
बटेश्वर धाम : उत्तर प्रदेश के बटेश्वर धाम से जुड़े है कई हस्तियों के तार, जानिए बटेश्वर धाम का पूरा इतिहास
Dec 24, 2023 17:27
Dec 24, 2023 17:27
- पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के गाँव बटेश्वर के हालात नहीं सुधरे
- बटेश्वर धाम के विकास की ओर किसी भी सरकार ने नहीं दिया ध्यान
- यहाँ यमुना की धारा बहती है उल्टी
- शेरशाह सूरी और जरासंध ने किया बार-बार आक्रमण
भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का बटेश्वर में हुआ पालन -पोषण
आज देश पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की 99वीं जयंती मना रहा है। अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म बेशक ग्वालियर में हुआ हो लेकिन उनका गृह जनपद आगरा है,और वह जिला मुख्यालय से लगभग 80 किलोमीटर दूर बटेश्वर धाम है। जिस तरह भगवान श्रीकृष्ण का जन्म उनके गृह जनपद में नहीं हुआ, इस तरह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म भी आगरा की जगह ग्वालियर में हुआ। यहां के स्थानीय निवासी राम सिंह आजाद का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के पिताजी कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में शिक्षा विभाग में अध्यापक पद पर तैनात थे। अटल बिहारी वाजपेयी और उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ने कानपुर के डीएवी कॉलेज से एक साथ लॉ की पढ़ाई की थी। राम सिंह आजाद का कहना है कि अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म के बाद उनके पिता उन्हें बटेश्वर में छोड़ गए। यही उनका पालन पोषण हुआ।
अटल जी के पिता ग्वालियर रियासत द्वारा शिक्षक की नौकरी पर रखे गए थे। उनके पिता 1925 से 1932 के बीच श्योपुर के पारखजी बाग में हेड मास्टर की नौकरी की थी। इसी दौरान अटलजी ने भी अपनी कक्षा तीन की पढ़ाई अपने पिता के स्कूल में ही की थी। वह रोज अपने पिता के साथ स्कूल जाते थे। वही राम सिंह आजाद का कहना है कि जिस तरीके से अटल जी का जन्म आगरा में न होकर ग्वालियर में हुआ था। उसी तरह भगवान श्रीकृष्ण का गृह जनपद आगरा है, और उनका जन्म मथुरा के राजा कंस के कारागार में हुआ था।
बटेश्वर ने देखा मुगलों का आतंक और आक्रमण
तमाम इतिहासकारों के अनुसार बटेश्वर ने मुगलों का भी आतंक और आक्रमण झेला है। यही नहीं इस वैभवशाली बटेश्वर पर जरासंध ने बार-बार आक्रमण किए बावजूद इसके यहां की पृष्ठभूमि में कोई बदलाव देखने को नहीं मिलता। शेरशाह सूरी ने भी इस महान पुण्य भूमि पर अनेकों बार आक्रमण किए हैं। शेरशाह ने बटेश्वर के पास ही जैतपुर में एक किले का निर्माण करवाया था जिसके अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं। यह क्षेत्र मराठा छत्रपों की सीमा अंतर्गत रहा है। मराठा छत्रप नारूशंकर ने मुगलों के साथ युद्ध में जो मराठा शहीद हुए थे उनकी स्मृति में विशाल मंदिर का निर्माण करवाया था। जिसे आज बटेश्वर में पातालेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है।
यहाँ बहती है उल्टी यमुना
इतिहासकार राजकिशोर राजे के अनुसार भदावर नरेश राजा बदन सिंह ने एक कोस लंबा अर्द्ध चंद्राकार विशाल बाँध 1946 ई. में बनवाया था, जिसके चलते यमुना की दिशा उल्टी हो गई थी। यहां आज भी यमुना उल्टी दिशा में बहती हैं। आज जो बटेश्वर नाथ मंदिर है, वह राजा बदन सिंह द्वारा ही बनाया गया था और इस मंदिर निर्माण के चलते यमुना की धारा बदल गई। बाबा भोलेनाथ के बटेश्वर नाथ मंदिर निर्माण के बाद राजा बदन सिंह ने यहां से जुड़े हुए लोगों को मंदिर निर्माण के लिए आमंत्रित किया। यह 101 श्रृंखला के मंदिर एक समय के नहीं है बल्कि अलग-अलग समय और कालखंड के हैं।
श्री कृष्ण का क्या है बटेश्वर से रिश्ता
इतिहासकार राजकिशोर राजे का कहना है कि श्रीकृष्ण का नाम आते ही मथुरा का ध्यान आता है। बहुत कम लोगों को ज्ञात है कि भगवान श्रीकृष्ण का गृह जनपद आगरा है। उनके पिता वासुदेव व पितामह शूरसैन बटेश्वर के निवासी थे। श्रीकृष्ण का जन्म अपने मामा (सगे नहीं) कंस के मथुरा स्थित कारागार में हुआ था। श्रीकृष्ण के पूर्वज यदु की संतान होने के कारण यदुवंशी कहे जाते हैं। इस बात का उल्लेख राधारमण चौबे द्वारा लिखित पुस्तक भरतपुर का संक्षिप्त इतिहास में पृष्ठ एक पर है। राज किशोर राज का कहना है कि यह बटेश्वर प्रभु श्री कृष्ण से ही नहीं बाल के पांडवों की मां कुंती और उनके बड़े भाई कर्ण से भी जुड़ा हुआ है। कुंती और कर्ण का जन्म बटेश्वर के शौरीपुर में ही हुआ था।
राजकिशोर राजे ने बताया कि यह जग जाहिर है कि कंस को अपनी चचेरी बहन देवकी से अत्यधिक प्रेम था। कंस की शूरसेन के पुत्र वासुदेव से घनिष्ठ मित्रता थी। कालांतर में कंस ने देवकी का विवाह अपने मित्र वासुदेव से किया फिर आकाशवाणी और आगे का वृतांत सभी जानते हैं। इतिहासकार राज किशोर राजे का कहना है कि अगर यहां का विकास किया जाए तो शौरीपुर और बटेश्वर को जोड़ते हुए एक बड़ा तीर्थ स्थल बना कर इसे टूरिज्म इंडस्ट्री से जोड़ा जा सकता है।
गाँव की हालत में नहीं हुआ सुधार- स्थानीय निवासी
स्थानीय निवासी राम सिंह आजाद का कहना है कि बटेश्वर और शौरीपुर में तमाम इतिहास आज भी दबे हुए हैं। दशकों से तमाम सरकार आई और गई लेकिन बटेश्वर और शौरीपुर का विकास किसी भी सरकार ने नहीं किया। राम सिंह आजाद का कहना है कि हिंदू पौराणिक मान्यताओं एवं कथाओं के अनुसार बटेश्वर धाम चार धामों के पुत्र माने जाते हैं। यहां के मंदिरों की शुरुआत प्रतिहार वंश के समय हुई थी। जिस गांव का संबंध भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा हुआ है, महाभारत के इतिहास का साक्षी रहा है। जिस गांव से देश के प्रधानमंत्री निकले, आज तक उसे गांव की ओर किसी ने रुख नहीं किया। राम सिंह आजाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई द्वारा विकास न किए जाने से आहत हैं। राम सिंह आजाद की तरह ही यहां के तमाम ऐसे लोग हैं जो अटल बिहारी वाजपेयी के नाम को सुनना नहीं चाहते, उसका सिर्फ एक ही कारण है कि उन्होंने इस क्षेत्र का कोई विकास नहीं कराया।
विकास की मंद गति से स्थानीय लोग नाराज
यहां के स्थानीय लोगों का साफ तौर पर कहना है कि जो पुण्य भूमी भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी हो, जिस भूमि का इतिहास महाभारत से हो, इसके साथ ही देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गृह जनपद हो। उस क्षेत्र का विकास न होना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां के विकास की शुरुआत की है। बटेश्वर के लोगों को उम्मीद है कि अब उनके धाम के दिन सुधरेंगे ।
क्या कहां अटल बिहारी वाजपेयी के भतीजे ने ?
पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के भतीजे और बटेश्वर मंदिर के पुजारी राकेश वाजपेयी का कहना है कि बटेश्वर में अब तक बहुत विकास हो जाना चाहिए था लेकिन यहां की सरकारों ने इस और ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भगवान श्री कृष्ण के गृह जनपद और पूर्व प्रधानमंत्री से जुड़ी पुण्य भूमि आज भी विकास का इंतजार कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर यहां का विकास सही तरीके से किया जाए तो यहां को पर्यटन क्षेत्र से सीधे जोड़ा जा सकता है।
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