आगरा मथुरा जनपद की सीमा स्थित जोधपुर झाल वेटलैंड पर एशियन वाटरबर्ड सेंसस 2025 के अंतर्गत जलीय पक्षियों की गणना की गई। इस दौरान 1335 पक्षियों की पहचान की गई, जो 62 प्रजातियों से संबंधित थे। इनमें संकटग्रस्त 9 प्रजातियां भी शामिल हैं, जो इस क्षेत्र की जैव विविधता की महत्वपूर्ण ओर संकेत देती हैं।
Mathura News : जोधपुर झाल वेटलैंड में मिले 1335 जलीय पक्षी, लुप्तप्राय 9 प्रजातियां भी शामिल
Jan 12, 2025 15:26
Jan 12, 2025 15:26
गणना प्रक्रिया और विशेषज्ञों का योगदान
एशियन वाटरबर्ड सेंसस 2025 के अंतर्गत पक्षियों की गणना के लिए 8 विशेषज्ञों की एक टीम बनाई गई थी। इस टीम ने लगभग 80 हेक्टेयर क्षेत्र में 3 घंटे की मेहनत से गणना का कार्य पूरा किया। वेटलैंड्स इंटरनेशनल के उत्तर प्रदेश कॉर्डिनेटर नीरज श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में यह कार्य संपन्न हुआ। पक्षी विशेषज्ञ डॉ. के पी सिंह के नेतृत्व में निधि यादव, शम्मी सईद, अनुज यादव, सुनीता, आकांक्षा, शिवेंद्र प्रताप, नीलेश यादव और अन्य सहयोगियों ने इस कार्य में भाग लिया।
रिकॉर्ड की गई प्रजातियां
इस गणना के दौरान जोधपुर झाल वेटलैंड पर कुल 62 प्रजातियों के जलीय पक्षी पाए गए। इनमें से 29 प्रजातियां प्रवासी हैं और 33 स्थानीय प्रजातियां हैं। इन प्रजातियों में से 9 प्रजातियां आईयूसीएन की संकटग्रस्त सूची में शामिल हैं। इन संकटग्रस्त प्रजातियों में प्रमुख रूप से सारस क्रेन, ब्लैक-नेक्ड स्टार्क, पेन्टेड स्टार्क, ओरिएंटल डार्टर, काॅमन पोचार्ड, ब्लू-नेक्ड स्टार्क, ब्लैक-टेल्ड गोडविट, ग्रेटर स्पॉटेड ईगल और ब्लैक-हेडेड आईबिश शामिल हैं।
सर्वाधिक देखी गई प्रजातियां
गणना में सबसे अधिक बार हेडेड गूज (370), नोर्दन पिनटेल (224), और काॅमन टील (220) पक्षियों को देखा गया। इसके अलावा, गेडवाल, यूरेशियन विजन, नोर्दन शोवलर, पाइड एवोसेट, लिटिल स्टिंट, टैमिनिक स्टिंट, सेन्डपाइपर, वेगटेल, ब्लैक-विंग स्टिल्ट, पर्पल स्वैम्प हैन, कॉमन स्नाइप आदि प्रजातियों की भी पहचान की गई।
संरक्षण प्रयासों के परिणाम
मथुरा के डीएफओ रजनीकांत मित्तल ने बताया कि उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद और वन विभाग द्वारा लगातार निगरानी और संरक्षण कार्यों के कारण प्रवासी पक्षियों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। पक्षी विशेषज्ञ डॉ. के पी सिंह ने कहा कि जोधपुर झाल वेटलैंड पर उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा नमभूमि के क्षेत्रफल को विस्तार देकर नए जलीय आवासों का निर्माण किया गया है, जिससे वेटलैंड पर निर्भर पक्षियों की संख्या में इजाफा हुआ है।
संरक्षण की दिशा में आगे की चुनौतियां
हालांकि, पक्षियों की संख्या में वृद्धि हुई है, फिर भी पर्यावरणीय परिस्थितियों और जलवायु परिवर्तन के कारण इन पक्षियों के लिए आवास की सुरक्षा एक चुनौती बनी हुई है। वेटलैंड्स की स्थिरता और पक्षियों की आवासीय स्थिति को बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है। इसके लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है ताकि इन पक्षियों को सुरक्षित और स्वस्थ पर्यावरण में रहने का अवसर मिल सके।
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