आगरा के लिए गौरव के पल : डॉ राधे श्याम पारीक को पद्म श्री पुरस्कार से नवाजा गया 

डॉ राधे श्याम पारीक को पद्म श्री पुरस्कार से नवाजा गया 
Uttar Pradesh Times | राधे श्याम पारीक

Jan 27, 2024 12:52

उत्तर प्रदेश के आगरा के लिए गुरुवार का दिन ऐतिहासिक रहा, दुनिया में भारतीय होम्योपैथिक पद्धति को पहचान दिलाने वाले आगरा के 91 वर्ष के डा.राधे श्याम पारीक को पद्मश्री से सम्मानित...

Jan 27, 2024 12:52

Short Highlights
  • होम्योपैथी और समाज सेवा में किया है विशेष काम 
  • चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ा है पारीक का परिवार 
  • हिन्दी,उर्दू,पंजाबी भाषा में 70 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित 
Agra News : उत्तर प्रदेश के आगरा के लिए गुरुवार का दिन ऐतिहासिक रहा, दुनिया में भारतीय होम्योपैथिक पद्धति को पहचान दिलाने वाले आगरा के 91 वर्ष के डा.राधे श्याम पारीक को पद्मश्री से सम्मानित किया गया। केंद्र सरकार ने गुरुवार की रात्रि उनके नाम की घोषणा की है।

होम्योपैथी और समाज सेवा में किया है विशेष काम 
साल के डाॅ.राधेश्याम पारीक का जन्म मार्च 1933 में नवलगढ़ राजस्थान में हुआ था। वहां से आगरा आ गए। यहां होम्योपैथी से इलाज कराना शुरू किया।  इसके बाद इंग्लैंड से होम्योपैथी में ग्रेजुएशन करने चले गए। होम्योपैथी के साथ साथ समाजसेवा के क्षेत्र में भी डाॅ.आरएस पारीक ने काम किया। मूलरूप से राजस्थान के नवलगढ़ के रहने वाले डा.आरएस पारीक ने 21 वर्ष की आयु में बेलनगंज में एक छोटे क्लीनिक से होम्योपैथिक पद्धति से मरीजों का इलाज करना शुरू किया था। उस समय होम्योपैथी को बहुत कम लोग जानते थे। चर्म रोग सहित कई बीमारियों में एलोपैथी कारगर साबित नहीं हुई तो मरीजों ने उनसे इलाज कराया। उन्होंने वर्ष 1956 में रॉयल कॉलेज ऑफ लंदन से होम्योपैथी में ग्रेजुएशन किया था। तब वह पानी के जहाज से इंग्लैंड गए थे। उस समय यह बड़ी बात हुआ करती थी। इसके बाद उन्होंने कैंसर सहित अन्य बीमारियों में होम्योपैथी से इलाज पर शोध किया। इसके बाद उन्होंने बाग फरजाना स्थित अपने निवास के निकट ही पारीक होम्योपैथिक रिसर्च सेंटर स्थापित किया। इंग्लैंड, अमेरिका, रूस सहित कई देशों के डॉक्टरों को होम्योपैथी में सर्टिफिकेट कोर्स कराना शुरू किया।

चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ा है पारीक का परिवार 
उनके सेंटर पर मरीजों की संख्या अधिक होने के कारण कैंसर, चर्म रोग सहित गंभीर और सामान्य बीमारियों पर शोध करना शुरू किया। केस स्टडी को विदेशों में होने वाली कार्यशालाओं में प्रस्तुत किया। इससे दुनिया भर में भारतीय होम्योपैथी पद्धति को अलग पहचान मिली और विदेश से डॉक्टर प्रशिक्षण लेने के लिए उनके सेंटर पर आने लगे। वर्तमान में देशभर से और विदेशों से मरीज भी उनसे इलाज कराने के लिए आते हैं। उनके बेटे डा.आलोक पारीक होम्योपैथिक चिकित्सक हैं और यश भारती से सम्मानित हो चुके हैं। इंटरनेशनल होम्योपैथी संघ के पहले भारतीय अध्यक्ष बने। छोटे बेटे डा.राजू पारीक सर्जन हैं और उनके पौत्र डा. प्रशांत पारीक सर्जन और डा.आदित्य पारीक भी होम्योपैथिक चिकित्सक हैं।

हिन्दी,उर्दू,पंजाबी भाषा में 70 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित 
डा. पारीक पदमश्री अवार्ड पाने वाले जिले के दूसरे चिकित्सक हैं। करीब दस वर्ष पूर्व डा.डीके हाजरा को भी पद्मश्री अवार्ड मिल चुका है। एसएन मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ.डी.के. हाजरा को वर्ष 2014 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। डॉक्टर पारीक के अलावा आगरा के जाने-माने साहित्यकार स्वर्गीय डॉ.लाल बहादुर चौहान को 2010 में यह सम्मान प्राप्त हुआ था। इन्होंने हिन्दी, उर्दू, पंजाबी भाषा में 70 से अधिक पुस्तकें विभिन्न विषयों पर लिखी हैं। डॉक्टर आर एस पारीक का गोवर्धन से विशेष रिश्ता है वह प्रत्येक माह के दूसरे एवं चौथे ब्रहस्पतिवार भगवान कृष्ण के भक्तों एवं राधा कुंड क्षेत्र मे रहने वाली सन्यासी माताओं का निशुल्क इलाज विगत कई वर्षों से कर रहे हैं और इसकी प्रेरणा स्रोत वह अपने आध्यात्मिक गुरु श्रद्धेय आदरणीय गया प्रसाद जी को मानते है। 

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