देश और समाज को आगे बढ़ाने में एक शिक्षक की अहम भूमिका होती है। एक अच्छे शिक्षक का दायित्व है कि वह अपने विद्यार्थी को इस काबिल बनाए कि उसका विद्यार्थी हर क्षेत्र में सफलता हासिल करें, उसे इस काबिल बनाए कि उनके विद्यार्थी एक सफल...
Agra News : माध्यमिक शिक्षक संघ के अधिवेशन में बोले राजनाथ, फिसलकर राजनीति में पहुंच गया...
Jan 07, 2025 16:27
Jan 07, 2025 16:27
मैं जानता हूं शिक्षक की विशेषता
देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि बेशक मैंने शिक्षण कार्य छोड़ दिया हो, लेकिन आज भी मेरे अंदर एक शिक्षक विद्यमान है। मेरे पढ़ाने का क्रम बेशक टूटा हो, लेकिन पढ़ने का क्रम अब भी बरकरार है। उन्होंने कहा कि शिक्षक के अंदर क्या गुण होने चाहिए, इसमें मैं नहीं जाना चाहता, लेकिन शिक्षक की क्या विशेषता होती है, इसको में बेहतर तरीके से जानता हूं। आज भी मैंने शिक्षक के इस गुण को राजनीति में होते हुए छोड़ा नहीं है। उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्व काल के समय को स्मरण करते हुए कहा कि प्राइमरी और माध्यमिक शिक्षकों के साथ उनका बेहद गहरा नाता रहा है। उन्होंने स्वर्गीय ओमप्रकाश और पंचानन का जिक्र करते हुए कहा कि तमाम दिक्कत नेताओं से मेरा रिश्ता रहा है। इन सभी को मेरे ऊपर विश्वास था कि मैं इन प्राइमरी और माध्यमिक शिक्षकों के लिए कुछ कर सकता हूं।
मेरी प्रशंसा का कोई औचित्य नहीं
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल को याद करते हुए कहा कि 5/6 शिक्षक मुझे बधाई देने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कहा था कि जिस बात का जिक्र हम लोग करते रहे हैं, अब आप मुख्यमंत्री बन गए हैं तो उसका भी समाधान कर दीजिए। राजनाथ कहते हैं कि मैं इन सभी से 6 माह का समय मांगा था और 6 महीने गुजरने से 3/4 दिन पूर्व इस समस्या से संबंधित शासनादेश जारी किया था। उन्होंने कहा कि पंचम वेतन आयोग की सिफारिश को लागू कर आप पर मैंने कोई अहसान नहीं किया, यह मैंने अपने दायित्वों को निभाया था। इसके लिए मेरी कोई प्रशंसा की जाए इसका कोई औचित्य नहीं है।
शिक्षक नेताओं की हनक का जवाब नहीं
उन्होंने उस दौर को याद करते हुए बताया कि मैंने माध्यमिक शिक्षक संघ की बेजोड़ संगठनात्मक कुशलता को देखा था। आज के दौर के शिक्षक संगठन की मुझे जानकारी नहीं है। उस दौर में शिक्षक संघ से जुड़े हुए एमएलसी विधान परिषद में बैठा करते थे। उस दौर के शिक्षक एमएलसी नेताओं की हनक का कोई जवाब नहीं था। उनमें हनक थी, विधान परिषद में चर्चा के दौरान वे अपने तर्कों और तेवरों से विधान परिषद की चर्चा को बदल दिया करते थे, दिशा बदल देते थे, क्योंकि मैं भी 6 माह विधान परिषद में रहा हूं। देश की सेना के लिए कहा जाता है कि अंतिम सांस, अंतिम गोली तक लड़ना ही उनके जीवन का लक्ष्य होता है।
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