बच्ची के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन और सामाजिक मुद्दों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस मामले को लेकर भारतीय दलित वर्ग संघ ने विरोध जताते हुए राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन डीएम के प्रशासनिक...
राखी से गौरी गिरी महारानी : जूना अखाड़े में नाबालिग बेटी को दान करने पर विवाद, राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग
Jan 10, 2025 17:02
Jan 10, 2025 17:02
क्या है पूरा मामला?
यह मामला आगरा निवासी संदीप सिंह धाकड़े और उनकी पत्नी रीमा से जुड़ा है। इन दोनों ने अपनी नाबालिग बेटी को जूना अखाड़े में दान कर दिया। 20 दिसंबर को महाकुंभ के दौरान राखी ने जूना अखाड़े में दीक्षा लेने का निर्णय लिया। राखी का कहना है कि पहले उनका सपना आईएएस बनने का था लेकिन अब वह सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित हैं। गुरु महंत कौशल गिरि के अनुसार उन्हें 12 वर्षों तक कठोर तप और गुरुकुल परंपरा का पालन करना होगा।
दलित वर्ग संघ का कड़ा विरोध
इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय दलित वर्ग संघ ने इसे नाबालिग बच्ची के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया है। संघ के राष्ट्रीय सचिव साधू सरन आर्य ने कहा, “यह घटना सीधे तौर पर संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का हनन है। सरकार जहां 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान चला रही है और 6-14 वर्ष के बच्चों की शिक्षा को अनिवार्य बना रही है, वहीं ऐसी घटनाएं उन प्रयासों पर प्रश्नचिन्ह लगाती हैं।” संघ ने मांग की है कि बच्ची को तत्काल नागा शिविर से मुक्त कराया जाए और उसे उसके अधिकार वापस दिलाए जाएं। राष्ट्रीय संयोजक अर्जक समाज गौरी शंकर, भीम युवा वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अन्य सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।
बच्ची को मुक्त कराने की मांग
दलित वर्ग संघ और अन्य सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से अपील की है कि बच्ची को तुरंत नागा शिविर से मुक्त कराकर उसकी शिक्षा और देखभाल सुनिश्चित की जाए। इस मामले को लेकर राष्ट्रपति से भी हस्तक्षेप की मांग की गई है।
बचपन से भक्ति की ओर झुकाव
राखी के पिता संदीप उर्फ दिनेश जो पेठा फैक्टरी में काम करते हैं और उसकी मां रीमा सिंह एक गृहिणी हैं। राखी की छोटी बहन निक्की अभी सात साल की है। राखी ने अपनी शिक्षा का आरंभ कानपुर में अपने मामा के घर से किया। कक्षा एक से तीन तक की पढ़ाई के बाद वह डौकी के महादेव इंटर कॉलेज और फिर कुंडौल के स्प्रिंगफील्ड इंटर कॉलेज में पढ़ी। परिवार के अनुसार राखी स्कूल से घर आने के बाद सीधा पूजा-पाठ में जुट जाती थी। उसका अध्यात्म की ओर झुकाव तीन साल पहले गांव के काली मां मंदिर में लगातार होने वाली कथाओं के दौरान बढ़ा।
पिता का कहना- बेटी की इच्छा के आगे मजबूर हूं
राखी के दादा रोहतान सिंह धाकरे और दादी राधा देवी के अनुसार राखी हमेशा से पढ़ाई और पूजा-पाठ पर ध्यान देती थी। पूजा-पाठ में उसकी गहरी रुचि थी। राखी के पिता दिनेश सिंह कहते हैं, "बेटी को भगवा वस्त्र में देखकर मेरी आंखों से आंसू छलक पड़ते हैं। मैं दुखी हूं, लेकिन उसकी इच्छा के आगे मजबूर हूं।"
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