देश के पूर्व प्रधान मंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की 99वीं जयंती के अवसर पर हम उनके गांव की कुछ अनसुनी दास्तां लेकर आए हैं। पढ़िए आगरा से प्रदीप कुमार रावत की स्पेशल रिपोर्ट।
Special Report : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गांव बटेश्वर आज भी विकास की बाट जोह रहा
Dec 25, 2023 00:24
Dec 25, 2023 00:24
- अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा क्षेत्र में विकास न किया जाना आज भी बटेश्वर के लोगों को खुलता है
- देश अटल जी की 99वीं जयंती मना रहा
- बटेश्वर के लोगों को सीएम योगी आदित्यनाथ से हैं बहुत उम्मीदें
विकास की राह देखता बटेश्वर
जिला मुख्यालय से लगभग 80 किलोमीटर दूर बाह तहसील के बटेश्वर धाम के हालात कई दशकों से जस के तस बने हुए हैं। इस गांव के ऐसे हालात तब हैं, जब यहां से देश को एक सुविख्यात एवं विपक्ष को भी साधने वाला, विपक्ष को साथ लेकर चलने वाला प्रधानमंत्री मिला हो। एक ऐसा प्रधानमंत्री जिसकी कायल पूरी दुनिया थी। जिसने पोखरण में परमाणु विस्फोट कर अमेरिका को भी चौंका दिया था। उन्हीं पीएम के गांव बटेश्वर धाम को जिसे बाबा भोलेनाथ की छोटी काशी के नाम से जाना जाता है। यह गांव पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ा हुआ है। अटल बिहारी वाजपेयी देश के तीन-तीन बार प्रधानमंत्री रहे, बावजूद इसके इस गांव के हालात आज भी दयनीय बने हुए हैं।
गांव के लोग अटल बिहारी वाजपेयी से क्यों हैं नाराज
बटेश्वर गांव के लोग अटल बिहारी वाजपेयी का नाम लेते ही बिदक जाते हैं। उत्तर प्रदेश टाइम्स की टीम ने स्थानीय लोगों से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में जानना चाहा, लेकिन उनका साफ तौर पर कहना था, कि हम कैमरे के सामने कुछ नहीं कहेंगे। वह पूर्व प्रधानमंत्री एवं अपने चहेते नेता अटल बिहारी वाजपेयी से काफी बेरूखे से दिखाई दिए। यहां के स्थानीय लोगों का कहना है, कि उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए बटेश्वर और आसपास का किसी भी तरीके से कोई विकास नहीं किया। यही नहीं उन्होंने अपने प्रधानमंत्री रहते हुए बहुउद्देशीय हाल और एक गेस्ट हाउस बनवाया था, जो वर्तमान में खंडहर में तब्दील हो चुका है। कहा कि उन्हें बहुत खुशी है, कि अटल जी की पार्टी भाजपा के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस क्षेत्र का विकास कर रहे हैं। अटल जी के जाने के बाद ही सही, इस क्षेत्र का कायाकल्प तो होने जा रहा है।
खंडहर में तब्दील हो गई उनके समय की बिल्डिंग
बटेश्वर के स्थानीय नागरिक आजाद सिंह का साफ तौर पर कहना है, कि हमारे ताऊ ( पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ) ने बटेश्वर में गेस्ट हाउस और बहुउद्देशीय हॉल करोड़ों की लागत से बनवाए थे। जो कि तत्कालीन फ़िरोज़ाबाद सांसद प्रभु दयाल कठेरिया की सांसद निधि से बनाए गए थे। आज वह पूर्व की प्रदेश सरकार एवं जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। उन्होंने उम्मीद जताई है, कि सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ अब बटेश्वर धाम का कायाकल्प करने जा रहे हैं, उनसे बटेश्वर के लोगों को बहुत उम्मीदें हैं। अगर सीएम योगी आदित्यनाथ ने थोड़ा सा भी ध्यान दे दिया, तो यहां का कायाकल्प होना निश्चित है।
यहां हैं पर्यटन की असीम संभावनाएं
गांव के लोगों का कहना है कि यहां पर पर्यटन की असीम संभावना है। इसके साथ ही इस क्षेत्र को मथुरा से जोड़कर एक बड़ा धार्मिक क्षेत्र बनाया जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो यहां से पलायन करने वाले युवाओं को रोजगार मिलेगा और यहीं अपनी मातृभूमि पर खुद का काम करेंगे और प्रदेश के विकास में सहयोग देंगे। वही इस संबंध में स्थानीय विधायक रानी पक्षालिका सिंह का कहना है कि बटेश्वर में बनाए गए बहुद्देशीय हाल और गेस्ट हाउस केंद्र सरकार के बजट से बनाया गया था। आज वह बगैर देखरेख के चलते खंडहर में तब्दील हो चुका है। इसकी जानकारी विधायक को भी नहीं थी। दोनों ऐतिहासिक भवनों के खंडहर होने पर विधायक रानी पक्षालिका सिंह ने पूर्व की सरकारों को जिम्मेदार माना। उन्होंने कहा कि इसका उन्हें दुख है, कि पूर्व प्रधानमंत्री द्वारा किए गए कार्य के हालात ऐसे हो गए हैं, कि वह आज खंडहर में तब्दील हो चुका है।
रोजगार और पर्यटन का होगा विकास
बाह विधायक पक्षालिका सिंह का कहना है कि अब यहां पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विकास कार्य शुरू कर दिए हैं। इन दोनों ऐतिहासिक भवनों का भी कायाकल्प कराएंगे। रानी पक्षालिका का कहना है, कि यह क्षेत्र ऐतिहासिक है, यहां पर पर्यटन की तमाम संभावना है, अगर सही तरीके से रोड मैप तैयार किया जाए, तो यहां के हजारों युवाओं को उनके घर पर ही रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बाह तहसील चंबल सेंचुरी से जुड़ी हुई है, यहां पर रोजगार की असीम संभावनाएं हैं। प्रयास रहेगा कि उत्तर प्रदेश सरकार के विकास कार्यों द्वारा यहां पर इको टूरिज्म को डेवलप कराया जाए। पक्षालिका ने कहा कि यहां की चंबल डाल परियोजना विकास में मिल का पत्थर साबित होगी। कहा कि यह क्षेत्र खेती से जुड़ा हुआ है किसानों से जुड़ा हुआ है, इसलिए चंबल डाल परियोजना किसानों के लिए विकास का एक महत्वपूर्ण कदम है।
इन्होंने दी थी रेलवे की सौगात
विधायक रानी पक्षालिका सिंह ने कहा कि चंबल डाल परियोजना के साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा इस क्षेत्र के लिए रेलवे की सौगात दी गई थी। उनके सामने यह सपना साकार नहीं हो सका, लेकिन आज इस रेल परियोजना के माध्यम से परिवहन सुगम हुआ है। उन्होंने कहा कि रेलवे यातायात के बगैर विकास की कल्पना बेमानी है। इस क्षेत्र में रेलवे आने के बाद यहां पर विकास की असीम संभावनाएं बनी हुई है। यहां पर पैसेंजर के साथ-साथ कई महत्वपूर्ण ट्रेनों का भी संचालन शुरू हो गया है, जोकि यहां के लोगों के लिए रोजगार का एक बड़ा माध्यम बन सकता है।
इनका कहना है
वहीं बटेश्वर के ही स्थानीय निवासी राम खिलाड़ी का कहना है कि उनके सामने ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसका उद्घाटन किया था। राम खिलाड़ी ने कहा कि यह अफसोसजनक है कि पूर्व प्रधानमंत्री की ऐतिहासिक इमारत को आज खंडहर होते हुए देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि वैसे तो बटेश्वर में कुछ भी विकास नहीं है, यह दो भवन पूर्व पीएम वाजपेयी जी द्वारा बनाए गए थे वह भी आज खंडहर मतलबी हो चुके हैं। उन्होंने कहा इसके लिए कहीं न कहीं न जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ वन विभाग जिम्मेदार है।
स्पेशल रिपोर्ट में पढ़ें : आखिर बटेश्वर अटल बिहारी वाजपेयी की आंखों में क्यों किरकिरी बन कर रहा
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