अलीगढ़ जिले ने स्वच्छता के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करते हुए पूरे देश में अपनी अलग पहचान बनाई है।
अलीगढ़ स्वच्छता के क्षेत्र में नवाचार से बना मॉडल : देशभर में हो रही सराहना, एक रुपये प्रतिदिन सफाई शुल्क से गांव में दिख रही स्वच्छता
Dec 30, 2024 23:41
Dec 30, 2024 23:41
- डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रहण से 43.51 लाख रुपये का स्वच्छता शुल्क प्राप्त किया गया
- गरीबों को छूट, सक्षम परिवारों से शुल्क
डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रहण से 43.51 लाख रुपये का स्वच्छता शुल्क प्राप्त किया गया
जिलाधिकारी विशाख जी ने बताया कि जिले की 852 ग्राम पंचायतों में से वर्तमान में 435 ग्राम पंचायतों में डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रहण का कार्य सफलतापूर्वक चल रहा है। इस प्रक्रिया में ई-रिक्शा का उपयोग करते हुए घर-घर से कूड़ा एकत्रित किया जा रहा है। मार्च 2024 में यह कार्य केवल 81 ग्राम पंचायतों में शुरू हुआ था, जिसमें 20,804 घरों से कूड़ा संग्रह किया गया और स्वच्छता शुल्क के रूप में 7.30 लाख रुपये की राशि जुटाई गई। वर्तमान में, 62135 घरों को शामिल करते हुए, 43.51 लाख रुपये का स्वच्छता शुल्क प्राप्त किया जा रहा है।
गरीबों को छूट, सक्षम परिवारों से शुल्क
स्वच्छता शुल्क निर्धारण में सामाजिक समावेशन का विशेष ध्यान रखा गया है। अंत्योदय कार्डधारक और गरीब परिवारों को शुल्क से छूट दी गई है, जबकि सक्षम परिवारों से मात्र 1 रुपये प्रतिदिन लिया जा रहा है। वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों, जैसे बैंक, पेट्रोल पंप, होटल और अन्य इकाइयों से उनकी क्षमता के अनुसार शुल्क लिया जा रहा है।
स्वच्छता में नवाचार : जीपीएस और डिजिटल भुगतान का उपयोग
डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रहण की प्रक्रिया को आधुनिक तकनीक से सुसज्जित किया गया है। कूड़ा संग्रहण वाहनों में जीपीएस ट्रैकर लगाए गए हैं और स्वच्छता शुल्क भुगतान के लिए क्यूआर कोड और ऑफलाइन भुगतान सुविधाएं प्रदान की गई हैं। इसके अलावा, ग्राम पंचायतों में दृश्यमान स्वच्छता स्थापित करने के लिए रूट चार्ट और रोस्टर तैयार किए गए हैं।
ग्राम पंचायतें बनीं आत्मनिर्भर
स्वच्छता शुल्क से प्राप्त आय का उपयोग ग्राम पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाने में किया जा रहा है। 184 अतिरिक्त सफाई कर्मचारियों की तैनाती की गई है, जिससे 28182 मानव दिवस का सृजन हुआ है। अपशिष्ट संग्रहण वाहनों के रखरखाव, फॉगिंग मशीन, स्वच्छता किट और अन्य उपकरणों की खरीद सुनिश्चित की गई है।
यूनिसेफ के सहयोग से प्रशिक्षण
यूनिसेफ के सहयोग से 366 प्रतिभागियों को दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। ग्राम प्रधान, सचिव, पंचायत सहायक और स्वच्छता कार्यकर्ताओं को एसओपी और ट्रिगरिंग टूल्स का प्रशिक्षण दिया गया। सार्वजनिक स्थलों पर स्लोगन वॉल पेंटिंग के माध्यम से स्वच्छता जागरूकता अभियान चलाया गया।
जल शक्ति मंत्रालय के सचिव ने की सराहना
जिलाधिकारी के प्रस्तुतिकरण की जल शक्ति मंत्रालय के सचिव ने सराहना की और इसे देश के अन्य जिलों के लिए एक मॉडल बताया। यह पहल न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता बढ़ाने में मददगार साबित हो रही है, बल्कि ग्राम पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी अहम भूमिका निभा रही है। अलीगढ़ जिले का यह नवाचार स्वच्छता के क्षेत्र में एक नया आयाम स्थापित कर रहा है। 1 रुपये प्रतिदिन की मामूली लागत पर ग्रामीण क्षेत्रों में दृश्यमान स्वच्छता का यह मॉडल देशभर के अन्य जिलों के लिए प्रेरणा बन सकता है।
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