अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के दानदाता सदस्य और पूर्व छात्र प्रो. जसीम मोहम्मद ने एक पत्र प्रेषित कर कुलपति प्रोफेसर नईमा खातून से विश्वविद्यालय में हिंदू ,जैन और बौद्ध अध्ययन के लिए शोध केन्द्र स्थापित करने की मांग की है।
AMU कुलपति से हिंदू रिसर्च सेंटर खोलने की मांग : पूर्व छात्र व दानदाता सदस्य ने एएमयू में हिंदू, जैन और बौद्ध शोध केंद्र स्थापित करने की मांग की
Jul 15, 2024 20:15
Jul 15, 2024 20:15
केंद्र स्थापित करने से परंपराओं के ज्ञान को मिलेगा बढ़ावा
एएमयू कुलपति को प्रेषित अपने पत्र में प्रो. जसीम मोहम्मद ने एएमयू के शैक्षणिक परिवेश को व्यापक रूप से समावेशी बनाते हुए सर्वधर्म समभाव की भावना से योगदान देने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के निहित उद्देश्यों के साथ संदर्भित करने में इन केंद्रों के महत्त्व एवं उनकी उपादेयता पर बल दिया है। प्रो जमीस मोहम्मग ने कहा है कि इन अध्ययन केंद्रों को स्थापित करने से सभी समुदायों के बीच धार्मिक सद्भाव और आपसी सम्मान एवं सौहार्द विकसित होगा। प्रो जसीम मोहम्मद ने नेशनल एजुकेशन पालिसी के विचारों को व्यक्त करते हुए कहा कि हमारा देश विविध धर्मों, परंपराओं, संस्कृतियों, मान्यताओं और दार्शनिक विचारों का केंद्र है, जहाँ उपर्युक्त सभी का हमारे देश की विरासत एवं व्यापक स्वरूप निर्माण में विशेष योगदान रहा है। हिंदू, जैन और बौद्ध अध्ययनों के लिए केंद्र या पीठ स्थापित करने से इन महत्त्वपूर्ण परंपराओं के ज्ञान व समझ को बढ़ावा मिलेगा।
छात्र दर्शन, साहित्य, कला व इतिहास की व्यापक जानकारी प्राप्त करेंगे
प्रो जसीम मोहम्मद एएमयू में मीडिया सलाहकार के पद पर रहे है और दिल्ली में नरेन्द्र मोदी अध्ययन केन्द्र का संचालन करते हैं। प्रो. जसीम मोहम्मद प्रगतिशील समाज के लिए समाज में शांतिपूर्ण परिवेश और धार्मिक सद्भाव के महत्त्व पर भी जोर देते है। एएमयू में नए केंद्र विद्यार्थियों को हिंदू धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म की महान शिक्षाओं और उनके मूल्यों के विषय में शिक्षित करेंगे। भारतीय संस्कृति और विचारों को प्रसारित करने में बहुत बड़ा योगदान देंगे। इन पवित्र धर्मों के अध्ययन से छात्र दर्शन, साहित्य, कला और इतिहास के विषय में व्यापक जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
केंद्र समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने में अग्रणी बनाएगा
प्रो. जसीम मोहम्मद का मानना है कि इन केंद्रों की स्थापना एएमयू को व्यापक रूप से समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने में अग्रणी बनाएगी। देश-विदेश के विभिन्न पृष्ठभूमि और समाज के छात्रों को आकर्षित करेगी और एक विविधवर्णी जीवंत शैक्षणिक समुदाय विकसित करने में सहायक होगी। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए विश्वविद्यालय नेतृत्व और सभी ईसी सदस्यों को पत्र भेजकर उनके अनुरोध पर विचार करने का आग्रह किया । और कहा है कि आपका नेतृत्व और आपकी दूरदर्शिता इस विचार को मूर्त रूप देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। जिसके परिणामस्वरूप विश्वविद्यालय और उसके विद्यार्थियों दोनों को समान रूप लाभ मिलेगा। विश्वविद्यालय की गरिमा को ऊंचाई पर ले जाने में मदद भी मिलेगी।
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