कासगंज के पैतृक आश्रम पहुंचे भोले बाबा : 'होनी को कौन टाल सकता, जो आया है... उसे जाना है', हाथरस हादसे पर तोड़ी चुप्पी

'होनी को कौन टाल सकता, जो आया है... उसे जाना है', हाथरस हादसे पर तोड़ी चुप्पी
UPT | कासगंज के पैतृक आश्रम पहुंचे भोले बाबा

Jul 17, 2024 21:27

एक बार फिर भोले बाबा मीडिया के कैमरे के सामने आए। उन्होंने कहा कि 2 जुलाई की घटना से मैं दुखी और उदास हूं। लेकिन, जो होना तय है...

Jul 17, 2024 21:27

Kasganj News : हाथरस हादसे के बाद साकार हरि अपने कासगंज के पैतृक आश्रम पहुंचे हैं। जहां बुधवार को एक बार फिर भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ सूरजपाल मीडिया के कैमरे के सामने आए। उन्होंने कहा कि 2 जुलाई की घटना से मैं दुखी और उदास हूं। लेकिन, जो होना तय है, उसे कौन रोक सकता है। जो आया है उसे एक न एक दिन जाना ही है। 
  साकार हरि ने तोड़ी चुप्पी
बुधवार को अपने वकील के साथ आश्रम पहुंचे भोले बाबा ने मीडिया से बातचीत में कहा, "2 जुलाई की घटना से मैं अत्यंत व्यथित हूं। परंतु यह भी सत्य है कि जो होना निश्चित है, उसे कोई नहीं टाल सकता। जो इस संसार में आया है, उसे एक दिन जाना ही है।" उन्होंने आगे कहा कि उनके वकील डॉ. ए.पी. सिंह और अन्य प्रत्यक्षदर्शियों ने उन्हें घटना में जहरीले स्प्रे के प्रयोग की जानकारी दी है, जो इस बात का संकेत है कि यह एक षड्यंत्र हो सकता है।



कासगंज के पैतृक आश्रम पहुंचे भोले बाबा
बुधवार को साकार हरि उर्फ भोले बाबा अपने जन्मस्थान कासगंज के बहादुरनगर स्थित आश्रम में पहुंचे। यह जानकारी उनके वकील एपी सिंह ने दी। सुरक्षा कारणों से गांव में बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। आश्रम के बाहर सेवादारों द्वारा कड़ी निगरानी रखी जा रही है।

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1999 में स्थापित किया था ये आश्रम 
साकार हरि ने 1999 में अपने पैतृक गांव बहादुर नगर में अपना पहला आश्रम स्थापित किया। यह आश्रम उनके आध्यात्मिक यात्रा का आरंभिक बिंदु बना। इसके बाद, उन्होंने कई अन्य स्थानों पर भी आश्रम स्थापित किए। हालांकि, पिछले लगभग 12 वर्षों से वे अपने मूल आश्रम नहीं लौटे थे। इस लंबे अंतराल के बाद, बुधवार को भोले बाबा अचानक अपने वकील के साथ इस आश्रम में पहुंचे। 

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हादसे में 121 लोगों ने गंवाई थी जान
गौरतलब है कि हाथरस के सिकंदराराऊ में 2 जुलाई को एक बड़ा सत्संग आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम के आयोजक भोले बाबा उर्फ साकार हरि थे। सत्संग में लगभग 2.5 लाख लोगों ने हिस्सा लिया, जो अनुमति से बहुत ज्यादा थे। कार्यक्रम के समापन के समय अचानक भगदड़ मच गई, जिसमें 121 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। इस गंभीर मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) गठित किया गया है, जो वर्तमान में इस घटना की छानबीन कर रहा है।

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