साकार भोले बाबा के वकील डॉक्टर एपी सिंह शनिवार को जिला कारागार पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर कौसिंल डॉ एपी सिंह सत्संग भगदड़ हादसे में जेल में बंद आरोपियों से मुलाकात की।
नारायण साकार के वकील अलीगढ़ कारागार पहुंचे : हाथरस सत्संग कांड के आरोपियों से मिलकर कहा-साजिश के तहत की गई घटना
Jul 21, 2024 02:25
Jul 21, 2024 02:25
घटना को साजिश बताया
उन्होंने बताया कि एक व्यक्ति को छोड़कर इसमें सभी आई विटनेस है। जिन 10 लोगों से जेल में मुलाकात की है। उन लोगों ने यही बताया है कि 15 -16 लोगों ने जहरीला स्प्रे डाला। जिससे भगदड़ मच गई। बाद में काली सफेद बोलेरो गाड़ी से एटा की तरफ भाग गए। उन्होंने बताया कि घटना से आधे घंटे पहले नारायण साकार बाबा सत्संग स्थल से जा चुके थे। यह साजिश और षड्यंत्र था । इस घटना को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी साजिश माना है। नारायण साकार बाबा ने भी अपने स्टेटमेंट में यही कहा है।
राजनीतिक दलों की भी साजिश हो सकती है
उन्होंने कहा कि यह साजिश सनातन धर्म को बदनाम करने की थी। साजिश नारायण साकार बाबा के खिलाफ भी थी। साथ ही यह साजिश उत्तर प्रदेश सरकार को भी बदनाम करने की थी। उन्होंने कहा कि यह साजिश राजनीतिक दलों की भी हो सकती है जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को अस्थिर करना चाहते हैं। उन्होंने हाथरस रेप प्रकरण का भी जिक्र करते हुए कहा कि इसी तरह की साजिश रची गई थी। हाथरस बुलगड़ी को भी अपना टूरिस्ट प्लेस बना लिया था और सब दौड़े - दौड़े जाकर इसमें राजनीति कर रहे थे। उन्होंने कहा कि साकार विश्व हरि पूरी तरीके से निर्दोष है, उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है। वह 30 से 35 मिनट पहले सत्संग समापन करके पांडाल से जा चुके थे।
नारायण साकार बाबा अंधविश्वास का समर्थन नहीं करते
वही. उत्तर प्रदेश के महामहिम राज्यपाल महोदय का सम्मान करते हुए कहा कि वह बहुत सम्माननीय है, उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को अंधविश्वास पाखंड में नहीं पड़ना चाहिए। कोई ऐसा कारण नहीं है कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां दूर हो जाएं। नारायण साकार हरि ने कभी भी अंधविश्वास का समर्थन नहीं किया। उन्होंने मानवता, भाईचारा, भलाई, सत्य का साथ देने का वचन देते हैं।
बाबा के पास न गाड़ी न ही आश्रम है
उन्होंने कहा कि नारायण साकार बाबा के यहां पैर छुने का प्रचलन भी नहीं है। पैर नहीं छुए जाते हैं। उनके पास न कोई गाड़ी है, न कोई आश्रम नहीं है। बीआरएस की जो पेंशन मिलती है, उसी से अपना जीवन यापन चलाते हैं, कभी किसी के यहां भोजन नहीं करते हैं। कभी होटल, रेस्टोरेंट और किसी के निवास पर नहीं रहते हैं. आश्रम की व्यवस्था भी आयोजन की कमेटी करती है।
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