अलीगढ़ जिले के छर्रा क्षेत्र में 18 वर्ष पूर्व घटित समाजवादी पार्टी के नेता विकार की हत्या के मामले में न्यायालय ने अपना निर्णय सुनाया है। इस बहुचर्चित मामले में पांच दोषियों को उम्रकैद की सजा दी गई है, जबकि एक आरोपी को फरार घोषित किया गया है।
सपा नेता विकार हत्याकांड : 18 साल बाद आया फैसला, पांच दोषियों को उम्रकैद, एक फरार
Jul 18, 2024 01:29
Jul 18, 2024 01:29
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18 साल पहले का है मामला
इस मामले की शुरुआत 6 मई 2006 को हुई थी, जब शाम लगभग 4:45 बजे विकार अपने बड़े भाई मकदूम के साथ छर्रा बाजार में कुछ काम से आए थे। वहां से लौटते समय मोहल्ला पठानान में उन्हें मुशीर और नसीम मिले, जो विकार को बातों में उलझाकर अपने घर की गली में ले गए। वहां पहले से ही मुजाहिद गुड्डू, खालिद, शान मियां और जावेद मौजूद थे। इन सभी ने मिलकर विकार की हत्या कर दी और फिर गाड़ियों में सवार होकर फरार हो गए।
12 जुलाई को हुए थे दोषी करार आरोपी
घायल विकार को तत्काल कस्बे के एक नर्सिंग होम ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। इस घटना के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया और जांच के आधार पर आरोपियों के खिलाफ दो चरणों में चार्जशीट दाखिल की। न्यायालय में लंबे समय तक इस मामले की सुनवाई चली, जिसमें गवाहों के बयान और अन्य साक्ष्यों के आधार पर 12 जुलाई को छह आरोपियों को दोषी करार दिया गया था।
पांच दोषियों को उम्रकैद, एक फरार
16 जुलाई को सजा सुनाने की तारीख निर्धारित की गई थी। इस दिन पांच दोषी न्यायालय में उपस्थित हुए, लेकिन मुशीर नहीं आया। न्यायाधीश ने दोनों पक्षों के वकीलों की उपस्थिति में अपना फैसला सुनाते हुए पांचों दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ ही, प्रत्येक दोषी पर 20,000 रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया। मुशीर को फरार घोषित किया गया, हालांकि उसे हत्या के मामले में पहले ही दोषी करार दिया जा चुका था।
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इन पांच दोषियों को हुई उम्रकैद
सजा पाने वालों में क्षेत्र के कुख्यात अपराधी और राजनीतिक रसूख रखने वाले मुजाहिद हसन खान उर्फ गुड्डू शामिल हैं, जो हिस्ट्रीशीटर भी हैं। इसके अलावा, पूर्व समाजवादी पार्टी जिला उपाध्यक्ष और कांग्रेस महानगर अध्यक्ष के भाई शान मियां भी दोषियों में शामिल हैं। अन्य दोषियों में नसीम, खालिद और जावेद हैं।
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यह मामला स्थानीय राजनीतिक और आपराधिक वर्चस्व की लड़ाई का परिणाम माना जाता है। विकार, जो पूर्व समाजवादी पार्टी विधायक वीरेश यादव के करीबी थे, इस संघर्ष में बलि चढ़ गए। इस मामले की सुनवाई के दौरान कुछ गवाहों की मृत्यु हो गई, लेकिन मृतक के भाई मकदूम की गवाही को न्यायालय ने मजबूत आधार माना। पुलिस की जांच के निष्कर्षों को भी न्यायालय ने अपने फैसले में महत्वपूर्ण स्थान दिया।
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