मासूम बेटियों ने डीएम से लगाई गुहार : बोलीं-लापरवाही और भ्रष्टाचार के चलते नवोदय में पढ़ने का सपना टूटा, वीडियो वायरल

UPT | लापरवाही और भ्रष्टाचार के चलते नवोदय में पढ़ने का सपना टूटा।

Sep 01, 2024 01:02

आगरा जिले से मासूम बेटियों का एक मार्मिक वीडियो सामने आया है, जिसमें वे जिलाधिकारी से गुहार लगा रही हैं कि उनके ग्राम पंचायत सचिव के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। इन बच्चियों का आरोप है कि सचिव की लापरवाही और भ्रष्टाचार के चलते उनका भविष्य अंधकार में पड़ गया है, और नवोदय विद्यालय में पढ़ने का उनका सपना अधूरा रह गया है।

Agra News : उत्तर प्रदेश के आगरा जिले से मासूम बेटियों का एक मार्मिक वीडियो सामने आया है, जिसमें वे जिलाधिकारी से गुहार लगा रही हैं कि उनके ग्राम पंचायत सचिव के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। इन बच्चियों का आरोप है कि सचिव की लापरवाही और भ्रष्टाचार के चलते उनका भविष्य अंधकार में पड़ गया है, और नवोदय विद्यालय में पढ़ने का उनका सपना अधूरा रह गया है।

दो महीने पहले जन्म प्रमाण पत्र के लिए पंचायत सचिव को दिए थे जरूरी कागजात 
यह मामला आगरा के रुनकता कस्बा क्षेत्र के खंडवाई गांव का है। गांव के निवासी बाबू खान ने बताया कि उनकी बेटी महक को नवोदय विद्यालय में प्रवेश परीक्षा के लिए फॉर्म भरना था, जिसके लिए जन्म प्रमाण पत्र की आवश्यकता थी। लगभग दो महीने पहले बाबू खान ने पंचायत सचिव को सभी जरूरी कागजात दिए थे, ताकि उनकी बेटी का जन्म प्रमाण पत्र बन सके।

प्रमाण पत्र बनाने के लिए सुविधा शुल्क की मांग का आरोप 
बाबू खान ने आरोप लगाया कि पंचायत सचिव ने प्रमाण पत्र बनाने के लिए उनसे सुविधा शुल्क की मांग की थी। जब उन्होंने यह रिश्वत देने से इंकार किया, तो सचिव ने उनके कागजों को बार-बार रद्द कर दिया। कई बार आग्रह करने के बाद भी, सचिव ने केवल कागजों को जमा कर लिया, लेकिन प्रमाण पत्र बनाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया।

इस वजह से महक नवोदय विद्यालय की प्रवेश परीक्षा के फॉर्म भरने से वंचित रह गई
पंचायत सचिव रश्मि राठौर, जो ग्राम पंचायत खंडवाई में तैनात हैं, पर आरोप है कि उन्होंने दो महीने से अधिक समय तक जन्म प्रमाण पत्र नहीं बनाया। इस वजह से महक नवोदय विद्यालय की प्रवेश परीक्षा के फॉर्म भरने से वंचित रह गई। इस निराशा से भरी महक और उसकी बहन ने एक वीडियो बनाकर जिलाधिकारी से पंचायत सचिव के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।  इस मामले ने न सिर्फ प्रशासनिक तंत्र की खामियों को उजागर किया है, बल्कि उन मासूम बच्चों के सपनों को भी तोड़ दिया है, जो एक उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे। अब सभी की निगाहें प्रशासन की ओर हैं, जो देखना चाहेंगे कि क्या इन बच्चियों को उनका हक मिलेगा या उनके सपने यूं ही टूटकर बिखर जाएंगे। 

Also Read