मथुरा की मस्जिद में श्रीकृष्ण की मूर्तियां दबी होने का दावा : सर्वे पर अदालत में बहस जारी, 30 नवंबर को अगली सुनवाई

UPT | जामा मस्जिद

Nov 13, 2024 22:28

योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट द्वारा दाखिल याचिका में मथुरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे श्रीकृष्ण विग्रह की मूर्तियों के दबी होने का दावा किया गया है।

Mathura News : मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर से जुड़े एक मामले में बहस और सुनवाई का सिलसिला जारी है। योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट द्वारा दाखिल याचिका में मथुरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे श्रीकृष्ण विग्रह की मूर्तियों के दबी होने का दावा किया गया है। इस केस की सुनवाई के दौरान मंगलवार को अदालत में सर्वेक्षण को लेकर विस्तार से बहस शुरू हुई, जिसके बाद अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 30 नवंबर निर्धारित की है।

इतिहास के दस्तावेजों का हवाला, मूर्तियों के दबी होने का दावा
वादी पक्ष के प्रतिनिधि अजय प्रताप सिंह ने बहस के दौरान अदालत में ऐतिहासिक दस्तावेजों का हवाला दिया। उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) के प्रथम महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम की रिपोर्ट "ए टूर इन ईस्टर्न राजपुताना 1882-83" का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया है कि मुगल शासक औरंगजेब ने मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर को नष्ट कर वहां की मूर्तियों को आगरा स्थित कुदसिया बेगम की सीढ़ियों के नीचे दबा दिया था, ताकि उन्हें पैरों तले कुचला जा सके। इसी तरह, मुहम्मद साकी मुस्तइद्दखां की पुस्तक "मासिर ए आलमगीरी" में भी इस घटना का वर्णन किया गया है। इन दस्तावेजों के आधार पर वादी पक्ष ने मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे श्रीकृष्ण विग्रह के अवशेष होने की संभावना जताई है।

जामा मस्जिद की आपत्ति और संरक्षित स्मारक का दर्जा
विपक्षी संख्या-2, जामा मस्जिद, ने अदालत में सर्वेक्षण के खिलाफ लिखित आपत्ति दर्ज कराई है। इस मस्जिद को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने 1920 में संरक्षित स्मारक घोषित किया था। भारतीय पुरातत्व विभाग के अभिलेखों में जामा मस्जिद को "जुमा मस्जिद" के नाम से संरक्षित स्मारक के रूप में दर्ज किया गया है। इस नोटिफिकेशन के अनुसार, मस्जिद के चारों ओर किसी भी प्रकार के निर्माण का उल्लेख नहीं है। इसके बावजूद, मस्जिद के आसपास सड़कों पर दुकानें और व्यापारिक निर्माण हो चुके हैं। संरक्षित स्मारक होने के कारण 100 मीटर के दायरे में किसी भी निर्माण की अनुमति नहीं है, लेकिन इसके बावजूद नियमों का पालन नहीं किया गया है।



पुरातत्व विभाग ने दी आरटीआई का जानकारी
इस मामले में पुरातत्व विभाग ने एक आरटीआई के जवाब में जानकारी दी है कि जामा मस्जिद में अभी तक किसी प्रकार का उत्खनन या अन्वेषण नहीं किया गया है। अभिलेखों के अनुसार, श्रीकृष्ण विग्रह जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबी हो सकती हैं। लेकिन यह तथ्य तभी प्रमाणित हो सकता है, जब मस्जिद का जीआरपी सर्वे और अन्य वैज्ञानिक विधियों से सर्वेक्षण किया जाए। अदालत ने 30 नवंबर को इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख तय की है, जिससे यह स्पष्ट हो सकेगा कि सर्वेक्षण को लेकर आगे क्या कदम उठाए जाएंगे। अदालत में इस मामले को लेकर उत्सुकता बनी हुई है, क्योंकि यह मामला धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।

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