करहल उपचुनाव : रिश्तेदारों की एंट्री से सपा की मुश्किलें बढ़ीं, अखिलेश यादव ने संभाली कमान

UPT | अखिलेश यादव

Nov 13, 2024 17:44

यूपी के मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव ने सपा के लिए चुनावी मुश्किलों को और बढ़ा दिया है। बीजेपी ने अपने उम्मीदवार के रूप में सैफई परिवार के सदस्य अनुजेश यादव को मैदान में उतारा है...

Mainpuri News : यूपी के मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव ने सपा के लिए चुनावी मुश्किलों को और बढ़ा दिया है। बीजेपी ने अपने उम्मीदवार के रूप में सैफई परिवार के सदस्य अनुजेश यादव को मैदान में उतारा है, जो समाजवादी पार्टी के लिए एक बड़ा राजनीतिक संकट बन सकते हैं। खासतौर पर सपा के यादव वोटबैंक में सेंधमारी करने के बीजेपी के प्रयासों के चलते सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव खुद चुनावी मोर्चे पर उतर आए हैं।

अखिलेश की बहन बीजेपी के प्रचार में उतरी
बीजेपी के इस कदम से करहल उपचुनाव की लड़ाई और भी रोमांचक हो गई है। बीजेपी ने अनुजेश यादव को टिकट देकर सैफई परिवार से अपनी नजदीकी का फायदा उठाने की योजना बनाई है। अनुजेश यादव, अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव के बहनोई हैं और उनकी पत्नी उर्मिला यादव साथ मिलकर बीजेपी के प्रचार में जुटी हुई हैं। ये दोनों मिलकर यादव समाज में सेंधमारी की कोशिश कर रहे हैं, जिससे सपा के लिए चुनावी चुनौती और भी कठिन हो गई है।



अखिलेश यादव ने संभाला मोर्चा
बीजेपी की इस रणनीति से निपटने के लिए सपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। वहीं सपा के गढ़ माने जाने वाले इलाकों जैसे घिरोर और बरनाहल में बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इन क्षेत्रों में सपा की पकड़ मजबूत है, लेकिन अब बीजेपी की सैफई परिवार से जुड़ी रणनीति ने पार्टी की परेशानी बढ़ा दी है। ऐसे में खुद अखिलेश यादव ने मोर्चा संभालते हुए करहल में चुनावी प्रचार में उतरने का फैसला किया है। अखिलेश यादव ने अब अपनी पूरी टीम को चुनाव प्रचार में झोंक दिया है और खुद भी आगामी दिनों में घिरोर में एक बड़ी जनसभा करने जा रहे हैं। वहीं सैफई परिवार भी इन क्षेत्रों में घर-घर जाकर संपर्क साधने की कोशिश में जुटा है। बीजेपी की इस रणनीति का सपा मुकाबला करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, जिससे यादव वोटबैंक पर उसकी पकड़ बनी रहे।

सपा का गढ़, यादव वोटबैंक निर्णायक
करहल विधानसभा सीट पर यादव वोटर हमेशा से निर्णायक भूमिका में रहे हैं। इस क्षेत्र में लगभग 1.25 लाख यादव मतदाता हैं, जो चुनावी नतीजों को प्रभावित करते हैं। 1985 से अब तक इस सीट पर यादव प्रत्याशी ही जीतते रहे हैं और 1993 से लगातार समाजवादी पार्टी ने यहां पर विजय हासिल की है। 2022 में भी अखिलेश यादव ने यहां से जीत दर्ज की थी। ऐसे में यह सीट सपा के लिए महत्वपूर्ण गढ़ मानी जाती है, जिसे खोने का खतरा सपा के लिए बड़ा झटका हो सकता है।

भाजपान ने सैफई परिवार के नजदीकी को मैदान में उतारा
बीजेपी ने इस बार करहल सीट पर अपनी रणनीति बदलते हुए सैफई परिवार से जुड़े अनुजेश यादव को मैदान में उतारा है। अनुजेश न सिर्फ यादव समाज से ताल्लुक रखते हैं, बल्कि धर्मेंद्र यादव के बहनोई भी हैं। उनकी मां उर्मिला यादव दो बार घिरोर विधानसभा सीट से विधायक रह चुकी हैं, जो अब करहल विधानसभा का हिस्सा बन चुकी है। बीजेपी का मानना है कि सैफई परिवार से करीबी रिश्ते रखने वाले अनुजेश यादव यादव वोटों में सेंधमारी करने में सक्षम होंगे, खासकर तब जब सपा के अपने परिवार के सदस्य उनके खिलाफ प्रचार कर रहे हैं।

सपा ने बनाई जीत की रणनीति
सपा ने बीजेपी के इस दांव का मुकाबला करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी है। पार्टी ने चुनाव प्रचार के लिए अपने प्रमुख नेताओं को मैदान में उतारा है। सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव, डिंपल यादव और धर्मेंद्र यादव जैसे दिग्गज नेता तेज प्रताप यादव के समर्थन में सभाएं करने में जुटे हैं। शिवपाल यादव ने पहले ही तीन जनसभाएं कर ली हैं और आगे भी इस क्षेत्र में चुनाव प्रचार करेंगे। इसके साथ ही सपा ने अपने सभी प्रमुख नेताओं को चुनावी मोर्चे पर उतारने का फैसला किया है ताकि करहल सीट पर यादव वोटबैंक को नुकसान न पहुंचे।

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